तरणि meaning in Hindi
[ terni ] sound:
तरणि sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- जल में चलने वाली, लकड़ी, लोहे, आदि की बनी सवारी:"प्राचीन काल में नौका यातायात का प्रमुख साधन थी"
synonyms:नौका, नाव, कश्ती, किश्ती, पोत, नैया, नइया, वाधू, नावर, वहल, वहित्र, वहित्रक, तरंती, तरन्ती, वार्वट, शल्लिका, तरनी, तारणि, उड़ुप, उड़प, बोट - एक बहुवर्षीय पौधा :"मदार का दूध आंखों के लिए हानिकारक होता है"
synonyms:मदार, मंदार, मन्दार, आक, अकौवन, अकौआ, अकौवा, अकौड़ा, आँकड़ा, आंकड़ा, आकड़ा, शुकफल, तपनच्छद, वसुक, पयोधर, द्युतिमणि, अर्यमा, अर्य्यमा, अर्जमा, नकुच, अवरव्रत, निदाघकर, आस्फोट, दिवसकर, दिवावसु, दीप्तांशु, दीप्तकिरण, अर्कपर्ण, दोहली, शीतपुष्पक, शुक्लफल, चित्रभानु, त्विषामीश, बहुक, अर्कदल, तपन, अवि, रविप्रिय, मार्तंड, मार्तण्ड, द्यु-मणि, निदाघकर, रुद्र, आदित्य - हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता:"वेदों में भी सूर्यदेव की पूजा का विधान है"
synonyms:सूर्यदेव, सूर्य, सूर्य देव, सूर्य देवता, भानु, भास्कर, आदित्य, मिहिर, अंशुमान, अंशुमाली, खगपति, अर्क, सहस्रकिरण, यमसू, मरीची, दिवसेश, दिवसेश्वर, दिवस्पति, दिवसकर, दिवसकृत, दिवसनाथ, दिवसभर्ता, दिवावसु, अविनीश, दिवामणि, दिवसमणि, दीप्तकिरण, सहस्रगु, भूताक्ष, गविष्ठ, जगत्साक्षी, वृषाकपि, वेदवादन, त्रयीतन, त्रयीमय, नभस्मय, नभश्चक्षु, चक्रबंधु, चक्रबन्धु, चक्रबांधव, चक्रबान्धव, तीक्ष्णांशु, तीक्ष्णरश्मि, पद्मगर्भ, त्विषामीश, तुंगीश, द्युपति, द्युम्न, अरविन्दबन्धु, दिव्यांशु, अरविंदबंधु, अर्यमा, अर्य्यमा, अर्जमा, अर्णव, कालेश, मार्तंड, मार्तण्ड, चित्रभानु, गोकर, केश, वेदोदय, वेध, वेधा, वेदात्मा, प्रजादार, प्रजाध्यक्ष, सावित्र, द्यु-पति, द्यु-मणि, अह, अहस्पति, आदिदेव, दिनकर, भट्टारक, दिनमणि, दनमणि, कुवम, दुड़ियंद, अधिरथी, पचत, हेममाली, हेमकर, वरेय, गभस्ति, गभस्तिपाणि, गभस्तिहस्त, ज्वालमाली
Examples
More: Next- मृदु मंद-मंद , मंथर-मंथर, लघु तरणि हंसिनी सी सुंदर,
- ) पअभर दरमरु धारणि तरणि रह धुल्लिअ झंपिअ।
- हे मातृभूमि ! दिन में तरणि, करता तम का नाश है॥
- करणों को अचेतन होने के कारण भी भोक्ता नहीं कहा जासकता- तरणि के समान।
- ) जिसमें मदन , कान्हा , तरणि , विरेन्द्र , देवराज आदि ने गाना गया।
- ) जिसमें मदन , कान्हा , तरणि , विरेन्द्र , देवराज आदि ने गाना गया।
- हे मातृभूमि ! दिन में तरणि, करता तम का नाश है॥ सुरभित, सुन्दर, सुखद, सुमन तुझ पर खिलते हैं।
- मणि-प्रभापूर मणिपुर नगर के प्रान्त में एक उद्यान के द्वार पर प्रतीची दिशा-नायिकानुकूल तरणि के अरुण-किरण की प्रभा पड़ रही है।
- के नयनवारि प्रेमी यथा पोंछते न ! हरे ओस आंसू , नलिन मुख कमल से तरणि कर बढ़ा , तू अतः राह देना
- तरणि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ” जैसे पद्य में अनुप्रास की छटा के साथ तमाल की छाया भी साफ दिख रही है।