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constituent power sentence in Hindi

"constituent power" meaning in Hindi  constituent power in a sentence  

Examples

  1. There is no separate constituent body for the purposes of amendment of the Constitution , constituent power also being vested in ' Parliament ' .
    संविधान-संशोधन प्रयोजनों के लिए कोई अलग संविधायी निकाय नहीं है और संविधायी शक्ति भी ' संसद ' में निहित है .
  2. There is no separate constituent body for the purposes of amendment of the Constitution , constituent power also being vested in ' Parliament ' .
    संविधान-संशोधन प्रयोजनों के लिए कोई अलग संविधायी निकाय नहीं है और संविधायी शक्ति भी ' संसद ' में निहित है .
  3. Constituent Powers : Under article 368 , Parliament exercises constituent powers in accordance with the procedure laid down for different categories of amendments .
    संविधायी शक्तियां : अनुच्छेद 368 के अधीन , विभिन्न श्रेणियों के संशोधनों के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संसद संविधायी शक्तियों का प्रयोग करती है .
  4. Until the Supreme Court decision in the Golak Nath case , the law was as follows : i . Constitution Amendment Acts are not ordinary laws and are passed by Parliament in exercise of its constituent powers as contradistinct from ordinary legislative powers .
    जब तक गोलकनाथ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय नहीं दिया था , तब तक विधि की स्थिति इस प्रकार थी : संविधान-संशोधन अधिनियम साधारण विधियां नहीं है और उनका पारण संसद सामान्य विधायी शक्तियों से सर्वथा भिन्न अपनी संविधायी शक्ति के प्रयोग से करती है .
  5. -LRB- Later - as late as in 1981 - the Supreme Court confirmed that the amending power under article 368 is a constituent power independent of the scheme of the distribution of legislative powers under the Seventh Schedule -LRB- Sasanka v . Union of India , AIR , 1981 SC 522 -RRB- -RRB- .
    [बाद में , बहुत बाद में 1981 में-उच्चतम न्यायालय ने इस बात की पुष्टि की कि अनुच्छेद 368 के अधीन संशोधन की शक्ति एक संविधायी शक्ति है और सातवीं अनुसूची के अधीन विधायी शक्तियों के वितरण की योजना से उसका कोई वास्ता नहीं है ( शशांक बनाम भारत संघ , ए आई आर , 1981 एस सी 522 ) ] .
  6. The clauses provided that -LRB- a -RRB- there were no limitations , expressed or implied , upon the amending power of the Parliament under Art . 368 -LRB- 1 -RRB- , which is a ' constituent power ' and that -LRB- b -RRB- a Constitution Amendment Act would not , therefore , be subject to judicial review , on any ground .
    उपरोक़्त खंडों में कहा गया है कि अनुच्छेद 368 ( 1 ) के अधीन संविधान की संशोधन शक़्ति , जो एक ? संविधायी शक़्ति ? है , की स्पष्ट अथवा अंतर्निहित कोई सीमाएं नहीं हैं और कि ( ख ) इसलिए किसी भी संविधान संशोधन अधिनियम का किसी भी आधार पर न्यायिक पुनिर्विलोकन नहीं किया जा सकता .
  7. The clauses provided that -LRB- a -RRB- there were no limitations , expressed or implied , upon the amending power of the Parliament under Art . 368 -LRB- 1 -RRB- , which is a ' constituent power ' and that -LRB- b -RRB- a Constitution Amendment Act would not , therefore , be subject to judicial review , on any ground .
    उपरोक़्त खंडों में कहा गया है कि अनुच्छेद 368 ( 1 ) के अधीन संविधान की संशोधन शक़्ति , जो एक ? संविधायी शक़्ति ? है , की स्पष्ट अथवा अंतर्निहित कोई सीमाएं नहीं हैं और कि ( ख ) इसलिए किसी भी संविधान संशोधन अधिनियम का किसी भी आधार पर न्यायिक पुनिर्विलोकन नहीं किया जा सकता .
  8. Anexure 3.1 at the end of this chapter shows the time spent -LRB- percentages -RRB- on different Constituent -LRB- Amending the Constitution -RRB- Role : Under Art , 368 of the Constitution , which is the specific provision dealing with the amendment of the Constitution , Parliament is the repository of the constituent power of the Union .
    16 इस अध्याय के अंत में परिशिष्ट 3.1 में दिखाया गया है कि लोक सभा न विभिन्न प्रकार के कार्यों पर कितना समय ( प्रतिशत ) खर्च किया . संविधायी भूमिका ( संविधान में संशोधन करना ) : संविधान के अनुच्छेद 368 के अधीन , जिसमें संविधान में संशोधन संबंधी विशिष्ट उपबंध किया गया , संघ की संविधायी शक़्ति
  9. In the Golak Nath case , the Supreme Court by a 6 : 5 majority reversed its earlier decisions and held that the fundamental rights enshrined in the Constitution were transcendental and immutable , that article 368 of the Constitution laid down only the procedure for amendment and did not give to Parliament any substantive power to amend the Constitution or any constituent power distinct or separate from its ordinary legislative power , that a Constitution Amendment Act was also law within the meaning of article 13 and as such Parliament could not take away or abridge the fundamental rights even through a Constitution Amendment Act passed under article 368 .
    गोलकनाथ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 6 : 5 के बहुमत द्वारा अपने पूर्ववर्ती निर्णयों को उलट दिया और कहा कि संविधान में प्रतिष्ठित मूल अधिकार अपरिवर्तनीय हैं , अनुच्छेद 368 में केवल संशोधन-प्रक्रिया का उपबंध है और उसमें संसद को संविधान-संशोधन की कोई मूल शक्ति या उसकी विधायी शक्ति से अलग थलग या अलग पहचान वाली कोई संविधायी शक्ति प्रदान नहीं की गई है , संविधान-संशोधन अधिनियम भी अनुच्छेद 13 के अर्थांतर्गत विधि है , अत : अनुच्छेद 368 के अधीन पारित संविधान-संशोधन अधिनियम के द्वारा भी संसद न तो मूल अधिकारों को छीन सकती है और न ही उन्हें कम कर सकती है .
  10. State of Rajasthan and In GolakNath 's case , the Supreme Court by a 6 : 5 majority reversed its earlier decisions and held that the fundamental rights enshrined in the Constitution were transcendental and immutable , that Art . 368 of the Constitution laid down only the procedure for amendment and did not give to Parliament any substantive power to amend the Constitution or any constituent power distinct or separate from its ordinary legislative power , that a Constitution Amendment Act was also law within the meaning of Art . 13 and as such Parliament could not take away or abridge the fundamental rights even through a Constitution Amendment Act passed under Art . 368 .
    गोलक नाथ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 6 : 5 के बहुमत से अपने पहले फैसलों को उलट दिया और यह फैसला सुनाया कि सम्मिलित मूल अधिकार अपरिवर्तनीय हैं , कि संविधान के अनुच्छेद 368 में केवल संशोधन करने की प्रक्रिया ही निर्धारित है और उसके द्वारा संविधान में संशोधन करने की कोई मूल शक़्ति अथवा साधारण विधायी शक़्ति से अलग कोई संविधायी शक़्ति संसद को प्रदान नहीं की गई है , कि संविधान संशोधन अधिनियम भी अनुच्छेद 13 के अर्थों में एक विधि है और इस प्रकार संसद अनुच्छेद 368 के अधीन पास किए गए किसी संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भी मूल अधिकार समाप्त नहीं कर सकती या इनमें कोई कमी नहीं कर सकती .
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