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भटक जाना sentence in Hindi

pronunciation: [ bhatak jana ]
भटक जाना meaning in English

Examples

  1. स्कूल जाते वक्त रास्ता भटक जाना, गर्ल्स कॉलेज के सामने अदब से रफ्तार थाम लेना या फिर सिनेमाघर के स्टैंड पर घंटों तक आराम फरमाने की जिद के आगे मेरी ईमानदारी कई बार हारी।
  2. उनका जाकर क़तर [cutter] मे कट जाना, सांप का जैसे ख़ुद को डस जाना, हो के ' मकबूल ' माँ को छोड़ गए, कहते है इसको ही भटक जाना.
  3. वृध्दों के तनाव विशेष रूप से संतान द्वारा उनका ठीक प्रकार से पालन न करना, रिटायर्ड होने के पश्चात आर्थिक समस्यायें पैदा होना, शारीरिक अक्षमता, संतान का गलत रास्ते पर भटक जाना आदि इसमें शामिल है।
  4. मूड का ख़राब होने का मूल कारण है मन का भटक जाना! मन अपने केंद्र से भटक कर रज, तम, सत्व इन तीन गुणों से युक्त परिधि पर गोल-गोल घूम रहा है!
  5. तुम्हें चलते रहना है तुम्हें रास्ता खुद बनाना है चट्टानों से फूट कर नदी सा बहना है इधर उधर ना भटक जाना मेहनत के पानी को व्यर्थ ना छलकाना गति पर अपनी काबू रखना भावनाओं में ना बहना ना घबराना ना हिम्मत कभी हारना
  6. उनके कृत्य मे त्रुटि थी परन्तु अब उसके बारे मे सोच कर आपका मन त्रुटिपूर्ण बन गया है | कम से कम अपने मन को तो संभाल कर रखे | यदि कोई गलत मार्ग पर चला गया है, तो क्यों आपका मन भी गलत मार्ग पर भटक जाना चाहिये!
  7. किन्तु शक्ति का, काल-चक्र के कारण, मानव शरीर ८ ४ लाख योनियों से चक्कर काट पाना मान भी लें तो सोने कि चमक से भटक जाना भी प्राकृतिक ही होना चाहिए, जिससे हिन्दू मान्यता के अनुसार राम-सीता भी नहीं बच पाए थे, और दुर्योधन, रावन, इत्यादि तो माने हुए हैं जिनको सोने ने अँधा कर दिया था...
  8. अजय भाई सादर नमस्कार, आपकी बात सही है, आज हर तरफ से हमारे दिमाग में नकारात्मक बातें ही आ रही हैं ऐसे में कुछ लोगों का अपनी राह से भटक जाना स्वाभाविक है, किन्तु इन्हें भटकने से रोका जा सकता था और आगे भी ऐसा होने से रोका जा सकता है, अगर सेंसर बोर्ड और हमारी सरकारें तथा माता-पिता अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक से निभाएं!
  9. लेकिन इस भौतिक उन्नति ने हमसे बहुत कुछ छीन भी लिया, यहाँ तक कि हमारा सुख चैन भी. आज जो त्राहि-त्राहि चारों और मची है उसके पीछे कारण अगर देखें तो इंसानी ही नजर आते हैं, लेकिन इंसान है कि अपने बजूद को मिटाने पर ही तुला है, उसे अपने स्वार्थ के सिवा कुछ सूझता ही नहीं और जब ऐसी सोच इंसान की है तो फिर प्रगति तो कर ली, लेकिन मूल लक्ष्य से भटक जाना सही नहीं.
  10. लेकिन इस भौतिक उन्नति ने हमसे बहुत कुछ छीन भी लिया, यहाँ तक कि हमारा सुख चैन भी. आज जो त्राहि-त्राहि चारों और मची है उसके पीछे कारण अगर देखें तो इंसानी ही नजर आते हैं, लेकिन इंसान है कि अपने बजूद को मिटाने पर ही तुला है, उसे अपने स्वार्थ के सिवा कुछ सूझता ही नहीं और जब ऐसी सोच इंसान की है तो फिर प्रगति तो कर ली, लेकिन मूल लक्ष्य से भटक जाना सही नहीं.
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