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पोसना sentence in Hindi

pronunciation: [ posana ]
पोसना meaning in English

Examples

  1. जैसे पुत्र के लिये माँ-बाप की सेवा और अपनी सब कमाई उनके अर्पण करना या अपने छोटे तथा असमर्थ भाइयों और कुटुंब को पालना पोसना यहाँ हिंदुस्तान में एक कर्तव् य कर्म है और न करने पर निंदा है वैसा यूरोप के इंग् लैंड, फ्रांस आदि देशों में नहीं।
  2. बहरहाल इस कुकुर को पोसना मंहगा शौक बना डाला गया है और उसे बिजनेस कंपल्सन्स के कारण इतना स्पेस देना ही पड़ता है कि कभी-कभार गुर्रा सके।...... और यह गुर्राना भी आवारा पूंजी के मालिकों के छलकते लहकट अरमानों के हूबहू अमल के दौर में कम बड़ी सहूलियत नहीं है।
  3. तो मैंने कहा, ' बाबा, तोता पंछी होता है, फिर भी अपनी आन नहीं छोड़ता, जरूर उड़ जाता है, तो आदमी होकर भला कोर्इ कैसे अपनी आन छोड़ दे? पोसना कैसे छोड़ दे? मैं तो इसे इसके बापू से भी बड़ा साहब बनाऊँगी... '
  4. आतंक की आर्थिक कीमत का मीजान लगाते ही यह बात आइने की तरह साफ हो जाएगी कि आतंक को पोसना (पाकिस्तान, अफगानिस्तान) या आतंक से बचना (भारत) या फिर आतंक से आर-पार करना (अमेरिका इजरायल), में सफलताओं का खाता नुकसानों के सामने पिद्दी सा है।
  5. कमोवेश हर राज्य में विकास की लकीर खींच कर जिस तरह चंद हाथों को मुनाफा कमाने का लाइसेंस देते हुये सरकार भी करोड़ों का वारे-न्यारे करते हुये अपनी राजनीति को साधती है, उससे अब यह साफ होता जा रहा है कि सत्ता का मतलब उस अर्थव्यवस्था को पोसना है, जिसमें एक तबका ही राज्य है।
  6. ख़ुशी और मुस्कानों के समझ लेना चाहता है गणित, एक कुम्लाही कसक कि वह भी हो सके शरीक, फिर कुम्लहा जाती है, अपने विजडम से मानता है, कि गलत है पोसना कोई भी सपना, कि ठोंगे भर तनख्वाह में, खरीद नहीं सकता वह, खुशी का थोड़ा भी भूजा.
  7. और एक दूसरे पर भूंकते और गुर्राते थे … वे लोग कुत्तों की तरह झुंड में हमला करते थे, और वो भी नियोजित तरीके से … पहली टक्कर पोसना से हुई … दर्जी की औलाद था … और बच्चों के उस गिरोह का खतरनाक लड़का समझा जाता था … उसके बारे में सब यही कहते थे कि चमरचीठ था … जिसको पकड़ लेता था उसे छोड़ता नहीं था..
  8. विवेक वैराग्य आदि साधनों से ईच्छा का सर्वथा विनाश करना चाहिये | ईच्छा का संबंध जहाँ-जहाँ है वहाँ-वहाँ पाप, पुण्य, दुखराशियाँ और लम्बी पीड़ाओं से युक्त बंधन को हाज़िर ही समझो | पुरुष की आंतरिकईच्छा ज्यों-ज्यों शान्त होती जाती है, त्यों-त्यों मोक्ष के लिये उसका कल्याणकारक साधन बढ़ता जाता है | विवेकहीन ईच्छा को पोसना, उसे पूर्ण करना यह तो संसाररूपी विष वृक्ष को पानी से सींचने के समान है | ”
  9. क्रियाएँ जैसे-अकबकाना (चौंकना), टरकाना (टालमटोल), कीनना (ख़रीदना), खिसियाना (गुस्सा करना), हँसोथना (जल्दी समेटना), भमोर लेना (मुँह से काट लेना), बकोटना (नाखून से नोंचना), लबड़-लबड़ (जल्दी जल्दी बात बनाना), ढ़ूंकना (प्रवेश करना), खिसियाना (गुस्सा करना), भुतलाना (खो जाना), बीगना (फेंकना), गोंतना (पानी में डुबाना), धड़फड़ाना (जल्दी के चक्कर में गिर जाना), मेहराना (नम होना), सरियाना (सँवारना), चपोड़ना (रोटी में घी उड़ेलना), सुतल (सोया हुआ), देखलिअई (देखा), बजाड़ना (पटकना), टटाना (दर्द करना), तीतना (भींग जाना), बियाना (पैदा होना), पोसना (लालन-पालन करना) आदि।
  10. जो लोग मासूम और निर्दोष लोगों का खून बहाते है, जघंन्य अपराध करते है, उन्हें जेल मे रखकर उनकी खातिरदारी करना कहाँ का मानवाधिकार है.खुद भगवान राम और कृष्ण को रावण तथा कंस का वध करना पड़ा.दुष्टों का वध करने को मै कभी अपराध नहीं मानता.अगर अमन और शाँति लानी है तो ऐसे लोगों को जल्द से जल्द फांसी पर चढ़ाना होगा.भेड़ियों को खुला छोड़ना, पालना और पोसना मानवता नही है,वल्कि इन्हें फांसी दे देना ही मानवता है.जब मानव ही नही होगा तो काहें की मानवता.
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