×

ज्ञान-मीमांसा sentence in Hindi

pronunciation: [ jnyan-mimamsa ]
ज्ञान-मीमांसा meaning in English

Examples

  1. उन्हें यह जानना चाहिए कि रोमिला थापर से लेकर रामविलास शर्मा तक ने अपने इतिहास लेखन में मार्क्सवादी ज्ञान-मीमांसा का ठीक वैसा ही तिरस्कार किया है, जैसा खुद हिंदुत्वपंथी करते हैं या करना चाहते हैं.
  2. आज जब मन के संप्रत्ययों को विभिन्न ज्ञान-मीमांसा से जुड़े विशेषज्ञों यथा-मनोविज्ञानियों, संचारविज्ञानियों, समाजविज्ञानियों, मनोभाषाविज्ञानियों, जैवविज्ञानियों, नुविज्ञानियों इत्यादि ने अबूझ मानना छोड़ दिया है, तो हमें भी इसके पराक्रम से परिचय करना चाहिए।
  3. उपनिषदों में वर्णित इन प्रामाणिक तथ्यों को पश्चिमी विद्वान, विज्ञानी, शिक्षाशास्त्री सभी स्वीकार करते हैं ; लेकिन इन्हें हम मानना तो दूर ‘ आउटडेटेड नाॅलेज ' कह इस पूरे ज्ञान-मीमांसा से ही पल्ला झाड़ ले रहे हैं।
  4. दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग, कहना चाहिए उसका आधारभूत अनुशासन, ज्ञान-मीमांसा है, जिसमें ज्ञान के सम्पादन एवं प्रमाणीकरण की प्रक्रियाओं पर विचार होता है इधर घटित हुई विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति ने दार्शनिक जगत् में खलबली उत्पन्न कर दी है।
  5. दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग, कहना चाहिए उसका आधारभूत अनुशासन, ज्ञान-मीमांसा है, जिसमें ज्ञान के सम्पादन एवं प्रमाणीकरण की प्रक्रियाओं पर विचार होता है इधर घटित हुई विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति ने दार्शनिक जगत् में खलबली उत्पन्न कर दी है।
  6. दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग, कहना चाहिए उसका आधारभूत अनुशासन, ज्ञान-मीमांसा है, जिसमें ज्ञान के सम्पादन एवं प्रमाणीकरण की प्रक्रियाओं पर विचार होता है इधर घटित हुई विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति ने दार्शनिक जगत् में खलबली उत्पन्न कर दी है।
  7. तब भारत के प्रमुख इतिहासकार इन डेढ़ हजार बरसों को हिन्दू इतिहास या वैदिक काल कहकर क्यों निबटाते हैं? इसी इतिहास बोध में ज्ञान-मीमांसा की सही समझ की जरूरत को लेकर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री विद्वान रवि सिन्हा का एक लेख देखा जाना चाहि ए.
  8. स्मरण रहे कि ऐसे लोगों से पहले लुडविग विट्गेंस्टाइन (1889-1951) कह चुका है कि भाषाविषयक संशयात्मक सिद्धांत उस मिथ्या ज्ञान-मीमांसा (एपिस्टेमोलॉजी) के अंग हैं, जो भाषा एवं वस्तुओं में किसी-न-किसी प्रकार की तर्कसंगत मैत्राी उत्पन्न करना चाहती है।
  9. आलोचना की सार्थकता इसी में है कि वह रचना की इस गूढ़ तलाश और उसके अनुसंधान की अदम्य चाहत की भाषा को पढ़ सके. यदि आलोचना ज्ञान-मीमांसा की सरहदों में भटकने लगे तो मानिए कि वह रचना की जमीन से मीलों दूर निकल गई है.
  10. विचारक-द्वय वस्तुतः कूपमण्डूक कम्युनिस्ट का एक काल्पनिक पात्र खड़ा करते हैं, उसके मुँह से कुछ मूर्खतापूर्ण बातें कहलवाते हैं, और फिर उन्हें काटते हुए कुछ सही बातें कहते हुए उन बातों को “ नयी ” ज्ञान-मीमांसा के द्वारा अपनी अभीष्ट निष्पत्तियों तक पहुँचा देते हैं।
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.