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घनेरा sentence in Hindi

pronunciation: [ ghanera ]
घनेरा meaning in English

Examples

  1. अब पहले-सा वक्त नहीं, खुश-फ़हमी में मत रहना सच की राह पे चल दोगे, तो तुम को मात न होगी दिल का दर्द घनेरा अब आंखों तक घिर आया है बादल दूर न होंगे अब, जब तक बरसात न होगी
  2. गाड़ी कहीं ऐसे रास्ते से गुजर रही थी जहाँ दूर-दूर तक रोशनी का कोई नाम-ओ-निशान नहीं. मैं बस हलके से गुनगुना रहा था-अँधेरा पागल है कितना घनेरा है, चुभता हैं, डसता हैं, फिर भी वो मेरा है..
  3. दिल का दर्द घनेरा अब आंखों तक घिर आया है बादल दूर न होंगे अब, जब तक बरसात न होगी रास नहीं आई तुझको रिश्तों की तल्ख़ हक़ीक़त ऐसी ख़ुद से भी दूरी 'दानिश' बिन बात न होगी तहरीरों=लिखितें/लेखन औकात=स्तर _____________________________________ _____________________________________
  4. अब कहाँ अकेला हूँ? कितना विस्तृत हो गया अचानक परिवार आज मेरा यह! जाते-जाते कैसे बरस पड़ा झर-झर विशुद्ध प्यार घनेरा यह! नहलाता आत्मा को गहरे-गहरे! लहराता मन का रिक्त सरोवर ओर-छोर भरे-भरे!
  5. हरिशंकर वट की रचना को गहराई से देखा जाए तो उन्होंने प्रेम को एक नया श्रंगारात्मक मुखर रूप दिया है-“ मेघों ने हटाया घनेरा घूंघट / अक्स इन्दु का नज़र आया / अपनी पूरी जवानी पर है चाँद / कहीं आज पूनम तो नहीं ” ।
  6. सदा तुम्हारा इंतज़ार क्यूँ रहता वज़ूद क्या नहीं, कोई मेरा माना कि तुम हो उजली साफ तो क्या? जीवन नहीं घनेरा हर आशा को सदा, तुझसे ही जोड़ा जाता, जबकि निराश और थके आते हैं सब सदा, मेरी बाँहों में समाते हैं सब।
  7. कहूं शाम इसको कहूं या सवेरा कभी है उजाला कभी फिर अन्धेरा कभी है खुशी तो कभी गम घनेरा अरे क्या हुआ क्या हुआ हाल मेरा मुझे पूछते सब बता ए मुसाफिर किधर है ठिकाना कहाँ है बसेरा मुझे मार कर कह दिया है शहादत मेरी राख को फिर...
  8. कहूं शाम इसको कहूं या सवेरा कभी है उजाला कभी फिर अन्धेरा कभी है खुशी तो कभी गम घनेरा अरे क्या हुआ क्या हुआ हाल मेरा मुझे पूछते सब बता ए मुसाफिर किधर है ठिकाना कहाँ है बसेरा मुझे मार कर कह दिया है शहादत मेरी राख को फिर
  9. दिल का दर्द घनेरा अब आंखों तक घिर आया है बादल दूर न होंगे अब, जब तक बरसात न होगी रास नहीं आई तुझको रिश्तों की तल्ख़ हक़ीक़त ऐसी ख़ुद से भी दूरी 'मुफ़लिस' बिन बात न होगी शेर तो सभी लाजवाब हैं....कुछ बेमिसाल हैं...पर दिल में रच-बस गए वो ये तीन हैं...
  10. अँधेरा पागल है, कितना घनेरा है चुभता है डसता है, फिर भी वो मेरा है उसकी ही गोदी में सर रख के सोना है उसकी ही बाँहों में चुपके से रोना है आँखों से काजल बन बहता अँधेरा तो सुनें रात्रि गीतों की श्रृंखला में परिणीता फिल्म का ये संवेदनशील नग्मा..
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