क्रिया और प्रतिक्रिया sentence in Hindi
pronunciation: [ kriya aur pratikriya ]
Examples
- मध्यप्रदेश हो, राजस्थान हो अथवा अन्य प्रदेश, इसका प्रभाव यह देखा गया कि इस कारण प्रशासनिक हलके में अफरा-तफरी तो मची, किन्तु जिस गति से क्रिया और प्रतिक्रिया सामने आई, वह इस देश के न्यायिक अध्याय में स्वर्ण रेखा का कार्य करेगी।
- पिछले जीवन में किए गए कर्म का प्रभाव या उनके कारण कष्ट भोगना पड़ता है और उसे अगले जीवन में एक दूसरे देह में वास करना होता है, कर्म के सीमित अर्थ के अलावा अक्सर क्रिया और प्रतिक्रिया के व्यापक अर्थ में भी इसका उपयोग होता है.
- हम यह भी कह सकते हैं कि जड़ और चेतन, आत्मा और परमात्मा, सीमित और असीमित, राग और वैराग, संभोग और समाधि, क्रिया और प्रतिक्रिया सब चिंतन का हिस्सा हैं और यह जिस भी रूप में आज हमारे सामने हैं सब चिंतन का परिणाम हैं.
- यही कारण हैं कि दिन-रात, बिजली-बारिश और जीवन-मृत्यु जैसे क्रिया और प्रतिक्रिया का सही ज्ञान न होने के कारण मनुष्य और अन्य जीवों के अन्दर इसके प्रति भय और डर ने जन्म लिया. समय के साथ-साथ हम मनुष्यों के मस्तिष्क का विकास तेजी से होता गया और हम अपने सोच और विवेक से धीरे-धीरे रहस्यों से पर्दा हटाते गए और जिस से पर्दा नहीं हटा पाए उसके आगे नतमस्तक होते गये और उसे ईश्वर मानते गए.
- संक्षेप में हम निष्कर्ष रूप में यह कह सकते हैं कि पर्यावरण के अन्तर्गत प्राकृतिक एवं मानव निर्मित कारकों का समावेश रहता है जो हमें चारो ओर से घेरे हुए हैं अर्थात पर्यावरण के अन्तर्गत भौतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक (जैविक-अजैविक) प्रभावशील घटकों का समावेश किया जाता है जो जगत के जीव की दशाओं और कार्यों को प्रभावित करता है और पर्यावरण की यह गति प्राणि जगत के बीच क्रिया और प्रतिक्रिया की श्रृंखला प्राकृतिक परिवेश से प्रखर होती है।
- जो प्रत्यक्ष रूप में जीवन और व्यवहार को प्रभावित करते है ।” संक्षेप में हम कह सकते है कि पर्यावरण के अन्तर्गत प्राकतिक एवं मानव निर्मित कारकों का समावेश रहता है जो हमें चारों और से घेरे हुए है अर्थात पर्यावरण के अन्तर्गत भौतिक के साथ सांस्कृतिक (जैविक-अजैविक) प्रभावशील घटकों का समावेश किया जाता है ं जो जगत के जीव की दशाआें और कार्यो को प्रभावित करता है और पर्यावरण की यह गति प्राणि जगत के बीच क्रिया और प्रतिक्रिया की श्रृंखला प्राकृतिक परिवेश से प्रखर होती है ।
- यदि गुजरात की जनता आपे में होती तो क्या वहां डेढ़ माह तक अनवरत हिंसा चलती रह सकती थी? गोधरा की क्रिया पर जो प्रतिक्रिया हुई, वह स्वाभाविक है, इसमें संदेह नहीं | वह प्रतिक्रिया कई गुना अधिक भी हो सकती थी, लेकिन क्रिया और प्रतिक्रिया का यह तांडव जहां चल रहा है, वहां आज लोकतंत्र् का राज है या भीड़तंत्र् का? भीड़तंत्र् के भूसे में से भाजपा लोकतंत्र् की सुई तलाश रही है, क्या राजधर्म का निर्वाह इसे ही कहते हैं?