×

कहिया sentence in Hindi

pronunciation: [ kahiya ]
कहिया meaning in English

Examples

  1. इनके कहिया हरे रंग के खोल (कवच) पर टेड़ी-मेड़ी आकृतियां बनी होती है, इन आकृतियों का रंग व रूप नदियों में पायी जाने वाली वनस्पतियों से मिलता है, इस तरह का शारीरिक सरंचना का विकास व अनुकूलन सुरक्षा भी प्रदान करता हैं।
  2. एक दिन मैं बच्चों को पढ़ा रहा था कि एक महिला आयी और मुझसे पूछने लगी, ‘ हे अभय बउआ खिचड़ी कहिया से बनवबई? काहे कि ओतेक दूर जे जाइ छइ पढ़े से एतही चल अतई छौड़ा पढ़े आ एतही खिचड़ी खा लेतई.
  3. बार बार यह कहना कि दलित छात्र पर उत्पीडन होता है यह गलत है कभी कभी यह खुद इस बात कि लिया जिमेदार है आप विद्यालय में पड़ने जाते है न कि नेतागिरी करने! और आप बार बार यह मत कहिया दलित छात्र कोई भी दलित नहीं होता न हे निसहाई …..
  4. शायद इसलिए या फिर इंसानी जिजीविषा की खातिर शहर से लौटने वाले हर व्यक्ति से आजकल कोशी क्षेत्र में जो पहल सवाल पूछा जाता है वह है-बाबू कि हाल छै कुसहा कें? कहिया तक बंधतै कोशी कटान? (बाबू क्या हाल है कुसहा का? कब तक कटाव को बांधा जायेगा) ।
  5. अब जो व्यक्ति 63 साल का हो, ऊ अगर प्रेमिका को खुश करने में दो-तीन साल औरो लगा देगा, तो फल कहिया चखेगा? हम आपकी इस बात को मानता हूं कि जीवन की सांध्य वेला में कोयो आशिक लोक-लाज की परवाह करके अपना टाइम खोटी नहीं कर सकता, लेकिन आप ई भी तो देखिए कि बूढ़ा होकर भी आप बड़का तीसमार खां बन रहे थे!
  6. पोर्न फिलम बनाने बलि कोई स्टार नहीं होती ह या तो १ प्रकार से देह ब्यापार ह जो १ अपरद की श्रेनी मई अत्ता हा अतः इन्ही सजा मिलनी चिया प्र्सेदगी नहीं और हमारी संस्कृति को दुसित करने बलि हा अत हमारे नेताओ कोऊ सरम अणि कहिया असी गन्दी ओरतो की तरफ करते या देश बीर जबानो का हा न की इन गन्दी ओरतो का …
  7. अब जो व्यक्ति 63 साल का हो, ऊ अगर प्रेमिका को खुश करने में दो-तीन साल औरो लगा देगा, तो फल कहिया चखेगा? हम आपकी इस बात को मानता हूं कि जीवन की सांध्य वेला में कोयो आशिक लोक-लाज की परवाह करके अपना टाइम खोटी नहीं कर सकता, लेकिन आप ई भी तो देखिए कि बूढ़ा होकर भी आप बड़का तीसमार खां बन रहे थे!
  8. धीरे-धीरे पवन नाचो हे मोरा मन जैसे नदिया में नैय्या चले ॥ अपन गाम हमरा बजबैये अपन ओ गाम यौ मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाउन यौ स्कूलक पछुआर मे पाकरिक गाछ यौ हमरा सतबैये बहिनक याद यौ आमक गाछी के बड़का मचान यौ गाछी मे मिलीजुलि कs पकबैत पकवान यौ, मोन परैये परोड़क अचार यौ, ओझाजीक भोजन मे काकिक सचार यौ, कहिया हम जेबै अपन ओ गाम यौ, मनो नै भाबैये दिल्ली सन टाऊन यौ.... जिंदगी जिंदगी उमंग है, जो मेरे संग है, इसके जितने रंग है...
  9. पहला नाटक ‘ एक सही निर्णय ' 1983 में / पहली पत्रिका ‘ बिदेसिया ' का प्रकाशन-संपादन 1987 में / आदिवासी-देशज थियेटर की स्थापना 1988 में / पहली डॉक्युमेंटरी ‘ कहिया बिहान होवी ' (हिन्दी एवं झारखण्ड की क्षेत्रीय भाषा नागपुरी में) 1989-90 में / कविताओं पर पहला रंगमंचीय प्रयोग (हम लड़ेंगे साथी) 1989 में / पहली वेब पत्रिका आरंगन डॉट ओआरजी का निर्माण 1996 में / देश का पहला आदिवासी वेबपोर्टल (आदिवासी एवं क्षेत्रीय सहित हिंदी-अंग्रेजी 11 भाषाओं में का सृजन 2003 में / झारखण्ड की पहली बायोग्राफिकल फिल्म ‘
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.