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अदेखा sentence in Hindi

pronunciation: [ adekha ]
अदेखा meaning in English

Examples

  1. तसवीरें देख रहे थे … इस तस्वीर पर अटक कर रह गये … गलती से की गयी यह क्लीक जाने कैसे कितना कुछ अदेखा अबोला समेटे हुए है गलती से ही! कभी कभी यूँ ही बिना हमारे किसी प्रयास के ऐसा कुछ घटित हो जाता है जो कितना कुछ कह जाता है, जीवन को कुछ और समृद्ध कर जाता है …!
  2. यह नही कि वह विश्वास झूठा निकला नही वह सोलह आना सच्चा था और उसने हमारा साथ भी बखूबी निभाया हां यह और बात है कि जिन्दगी ने यह भी सिखाया है कि अपनी शक्ति अपने हौसले से परे भी कुछ अदेखा, अन्जाना है कही जरूर जो घटनाओ को अंजाम देने मे, रास्तो की दिशा निर्धारित करने मे अहम भूमिका निभाता है ।
  3. पहर पर पहर भर संघर्ष के पश्चात अफीमची अँधेरे की अँगुलियों से फिसल उझके हुए सूरज सरीखे हम स्वरानी चोंच-कूहें चिटखिटाती पंखुरियों की पखावज एक झीनी सी सरोदी गूँज भँवरों की-हमारे आगमन की सूचनाएँ धूप पोरों से पखारी तैरती ही जा रही विस्तार के वातावरण में दृष्टि बाँधे दूर अन्तों से पड़ावों को अदेखा कर उड़ी ही उड़ी जा रही हमारी ये साँसें-क्रियाएँ!-
  4. बिछा हुआ है सीवण का आसन सोने की चौकी भले उसे तू सन्नाटे का शिलाखंड भर कह दे था अनसुना अदेखा करजा बोला है बोले है बजा बज-बजता जाए है इकतारा.................. सागर है मेरे भीतर उतर कर देख रहा आकाश उगटी है कि नहीं चांद की टिकुली, रात ने पहनी है कि नहीं तारोंवाली बंधेज, उगेरी है कि नहीं लहर ने सांय-सांयती राग बिलावल, ठंडी नींद उतार उठे अन्तस ही भरे भैरवी का आलाप,
  5. तुमने मुझे अदेखा करके संबन्धों की बात खोल दी; सुख के सूरज की आँखों में-काली-काली रात घोल दी; कल को गर मेरे आंसू की मंदिर में पड़ गई जरूरत-लगता है आंचल को अपने सबसे अधिक तुम्ही धोओगो! परिचय से पहले ही, बोलो, उलझे किस ताने-बाने में? तुम शायद पथ देख रहे थे, मुझको देर हुई आने में; जगभर ने आशीष पठाए, तुमने कोई शब्द न भेजा, लगता तुम मन बगिया में गीतों का बिरवा बोओगे!-राम अवतार त्यागी-
  6. अब तक उनकी एक कविता पुस्तिका “ यह एक सच है (1993) ' और दो कविता संकलन ” हंसीघर (मेधा प्रकाशन, 1998) “ और ” खाली कोना (ज्ञानपीठ, 2007) ” प्रकाशित हुए हैं. हिन्दी कविता परिदृश्य में जिस ' लोक ' की बात अक्सर होती है, हरिओम की कविताएँ उसका अतिक्रमण भी करती हैं और उसका एक ऐसा अदेखा दृश्य भी प्रस्तुत करती हैं, जो लोक के नाम पर निर्मित एक खास तरह की छवि को ध्वस्त करता है.
  7. ये सेलफोन से की गयी बातचीत के ये चार हिस्से ही नहीं हैं, ये भ्रष्टाचार,राजनैतिक आतंकवाद और लोकतंत्र का चोला ओढ़े साम्राज्यवादी दांवपेंचों का इस्तेमाल करने में लगी उस व्यवस्था का असली चेहरा है,जिस पर हम भूल से या जानबूझ कर फक्र करते हैं स्वाधीनता दिवस,स्वतंत्रता दिवस और.वेलेंटाइन दिवस और दिन देश की सिर्फ एक तिहाई आबादी के लिए हैं बाकी के हिस्से में जो है वो क्रूर,अमानवीय और अदेखा है गरीबी,बेचारगी और भूखमरी से जूझ रहा छतीसगढ़,इस वक्त हिंदुस्तान के यातना गृह में तब्दील हो गया है
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