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संयमन sentence in Hindi

pronunciation: [ samyaman ]
संयमन meaning in English

Examples

  1. आज हमें मानव की भौतिकवादी एवं आध्यात्मिक दृष्टियों में संतुलन स्थापित करना होगा, भौतिक इच्छाओं का दमन नहीं, उनका संयमन करना होगा; स्वार्थ की कामनाओं में परार्थ का रंग मिलाना होगा।
  2. आज हमें मानव की भौतिकवादी एवं आध्यात्मिक दृष्टियों में संतुलन स्थापित करना होगा, भौतिक इच्छाओं का दमन नहीं, उनका संयमन करना होगा; स्वार्थ की कामनाओं में परार्थ का रंग मिलाना होगा।
  3. पद्मासन या फिर सुखासन में बैठें, यानी उसके बाद मुख का संयमन करके दोनों नासिका के छिद्रों से श्वांस लेते हुए कंठ द्वार को संकुचित करें ताकि गले से हल्की ध्वनि उत्पन्न हो, तत्पश्चात धीरे-धीरे नाक से श्वांस निकाल दें।
  4. आज कहां सुरक्षित रह पाया है-ईमान के साथ इंसान तक पहुंचने वाली समृद्धि का आदर्श? कौन करता है अपनी सुविधाओं का संयमन? कौन करता है ममत्व का विसर्जन? कौन दे पाता है अपने स्वार्थों को संयम की लगाम?
  5. पं. दिनेश व्यास (गुरूजी) के नेतृत्व में हुए इस महायज्ञ की मुख्य उद्देश्य मनुष्यों की पाशविक वृत्तियों का संयमन हो, एकता भाईचारा, पर्यावरण का शोधन हो, विश्व मंगल, राष्ट्र समृध्दि, गौसेवा एवं जन कल्याण है।
  6. सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के उद्देश्य से आराध्य की भक्ति करना धर्म है अथवा सांसारिक इच्छाओं के संयमन के लिए साधना-मार्ग पर आगे बढ़ना धर्म है? क्या स्नान करना, तिलक लगाना, माला फेरना आदि बाह्य आचार की प्रक्रियाओं को धर्म-साधना का प्राण माना जा सकता है?
  7. सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के उद्देश्य से आराध्य की भक्ति करना धर्म है अथवा सांसारिक इच्छाओं के संयमन के लिए साधना-मार्ग पर आगे बढ़ना धर्म है? क्या स्नान करना, तिलक लगाना, माला फेरना, आदि बाह्य आचार की प्रक्रियाओं को धर्म-साधना का प्राण माना जा सकता है?
  8. सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के उद्देश्य से आराध्य की भक्ति करना धर्म है अथवा सांसारिक इच्छाओं के संयमन के लिए साधना-मार्ग पर आगे बढ़ना धर्म है? क्या स्नान करना, तिलक लगाना, माला फेरना, आदि बाह्य आचार की प्रक्रियाओं को धर्म-साधना का प्राण माना जा सकता है?
  9. सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के उद्देश्य से आराध्य की भक्ति करना धर्म है अथवा सांसारिक इच्छाओं के संयमन के लिए साधना-मार्ग पर आगे बढ़ना धर्म है? क्या स्नान करना, तिलक लगाना, माला फेरना आदि बाह्य आचार की प्रक्रियाओं को धर्म-साधना का प्राण माना जा सकता है?
  10. आहार क्या है, इसका वर्णन करते हुए महर्षि चरक कहते हैं-'आह्यिते अन्ननलिकाया यत्तदाहारः', अर्थात् अन्न नलिका के द्वारा जो पदार्थ आमाशय में ले जाया जाता है और जो हमारे शरीर की धातुओं का पोषण, रक्षण और क्षतिपूर्ति कर जीवन की प्रक्रियाओं का संयमन करते हुए शरीर के महत्वपूर्ण अंशों की उत्पत्ति में सहायक होता है, वही आहार है।
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