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मगरमच्छ के आंसू sentence in Hindi

pronunciation: [ magaramacha ke amsu ]
मगरमच्छ के आंसू meaning in English

Examples

  1. पहली बार जब सुमित्रा के रोने की आवाज गिरजा के कानों तक पहुंची थी तो वह दहाडता हुआ भीतर आया था-ऐ ये गुटर-गूं क्या लगा रखी है? बंद कर ये मगरमच्छ के आंसू.
  2. शिवाजी ने नया रूप अवश्य धारण किया था परन्तु स्वाम की रक्षा हेतु महिलाओ के आँचल का सहारा नहीं लिया था और न ही अपने विरुद्ध हुए किसी भी दुर्व्यवहार के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाए थे.
  3. और नीलम जी आप भी! आपका भी सहारा छीन लिया सबने? सबके मगरमच्छ के आंसू देख कर आप चक्कर में फंस ही गयीं ना? ये पहेली बूझने की कक्षा नहीं बल्कि कबड्डी का मैदान बनता जा रहा है.
  4. मन त्रस्त है …… कल टीवी पर सोनिया गाँधी को रोते देखा मगरमच्छ के आंसू थे, जिसमे वैसे ही विदेशी खून की बू है … उसे क्या दर्द है देश का खून बहा या इस देश की बेटी की जान गई.
  5. जैसा की आपको सुविदित है की कुछ लोग वर्षों से आपकी समाधी पर जाकर मगरमच्छ के आंसू बहाया करते हैं, कुछ लोग़ जिन्होंने आपको जीते जी तो परेशान किया ही और अंत में आपको मौत के घाट उतार दिया-अब आपके सिद्धांतो में आस्था प्रकट करने लगे हैं।
  6. चमचो को चरण स्पर्श नेताओँ को वंदन जांच की चिता पर लोकतंत्र का चंदन मगरमच्छ के आंसू एक्टिंग भी धांसू नही मिला सुराग जमी पर पानी का जहाज ले आए दूम हिलाते बफादारोँ कर्जे में डूबे राष्ट्र के कुबेरों इतिहास तुम्हे माफ़ नही करेगा तुम बच भी गए, आने वाली नस
  7. संगरूर। प्रदेश के मुख्य मंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुजरात के पंजाबी किसानों को पेश आए संकट के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गुजरात में 1973 में इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया था और कांग्रेस नेता अब इस मामले पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं।
  8. इनसे यह कहना चाहिए की क्या तुम हमारा प्यारा, हमसे बिछड़ा हुआ परिवार का सदस्य, हमारा अंश हमें लोटा सकते हो? लोटा सकते हो तो लोटा दो, इसके बदले में हम तुमको मुंह-मांगी रकम देंगे, अन्यथा कुछ नहीं तो मगरमच्छ के आंसू दिखा कर हमारे ज़ख्मों पर कम-से-कम नमक तो मत छिडको.
  9. कोंडागांव (छत्तीसगढ़): कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मई में हुए माओवादी हमले में मारे गए अपनी पार्टी के नेताओं की कुर्बानी लोगों को याद दिलाते हुए गुरुवार को एक भावनात्मक कार्ड खेला और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रमण सिंह इस पर ‘ मगरमच्छ के आंसू ' बहा रहे हैं तथा नक्सली हिंसा को रोकने में नाकाम [...]
  10. इसके विपरीत, चाहे वो टैक्सी चालक हों या ऑटोरिक्शा चालक, बस चालक हो या बिजली क्षेत्र के मज़दूर, सरकारी अस्पताल के चिकित्सक हों या सरकारी स्कूलों व कॉलेजों के शिक्षक, जब भी मेहनतकश लोगों का कोई सा भी तबका अपनी जायज मांगों के लिये हड़ताल करने का ऐलान करेगा तो, सरकार व इजारेदारी मीडिया उनकी सेवा का लाभ उठाने वाले आम आदमियों की मुश्किल पर मगरमच्छ के आंसू बहायेंगे और भरसक कोशिश करेंगे कि उस हड़ताल पर उतरने वाले तबके को अकेला कर दिया जाये।
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