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परिच्छिन्न sentence in Hindi

pronunciation: [ parichina ]
परिच्छिन्न meaning in English

Examples

  1. चाहे भक्ति के द्वारा चाहे योग के द्वारा, चाहे तत्त्वविचार के द्वारा परिच्छिन्न ' मैं ' भूलकर परमात्मा से एक होते हैं तो परम सुख की झलकें आती हैं।
  2. एक ही देश काल वस्तु, व्यक्ति, अवस्था, परिस्थिति आदिमें अपनी जो परिच्छिन्न सत्ता दीखती है, वह अहम् (व्यक्तित्व, एकदेशीयता) को लेकर ही दीखती है ।
  3. यह स्मरणीय है कि आत्मा के अनंत और अपरिच्छिन्न होने के कारण उन्होंने उसके अस्तित्व का भी ख्यापन नहीं किया क्योंकि साधारण अनुभव में “अस्ति” और “नास्ति” पद परिच्छिन्न गोचर में ही सार्थक होते हैं।
  4. वही मन जब घटादिक की नाईं परिच्छिन्न भेद को प्राप्त होता हे तब क्रियाशक्ति से अर्थात् प्राण और ज्ञान शक्ति से मिलता है, उस संयोग का नाम संकल्प विकल्प का कर्त्ता मन होता है ।
  5. अहंकार चाहे शरीर का हो, मित्र का हो, नाते-रिश्तेदारों का हो, धन-वैभव का हो, शुभकर्म का हो, दानवीरता का हो, सुधारक का हो या सज्जनता का हो, परिच्छिन्न अहंकार तुमको संसार की भट्ठी में ही ले जायगा।
  6. जाल के समान दूर से ही आकृष्ट कर बाँधने वाले विषयों तथा पिंजड़े के समान परिच्छिन्न स्थान में बाँधने वाले देह के समूह रूप इस अवस्तुभूत संसार के प्रति विवेकियों को कैसे आदर हो सकता है?
  7. हिरण्यगर्भ से उत्कृष्ट अविनाशी और अनन्त परब्रह्म मे जहाँ विद्या और अविद्या दोनों परिच्छिन्न भाव से स्तिथ हैं [उनमे] क्षर अविद्या है और अमृत विद्या है तथा जो इन विद्या और अविद्या दोनों का शाषण करता है वह इनसे भिन्न है ।।
  8. दृश्य अर्थात् देह और कुछ नही समझेँ, दृश्य माने हाथी-घोड़ा नहीँ, दृश्य माने देह (काय)-बारम्बार द्रष्टा देहसे एक होकर, सूक्ष्म देहसे एक होकर स्थूल-देहसे एक होकर अपनेको परिच्छिन्न देखता है और सृष्टिको अपने से न्यारी देखता है ।
  9. जहाँ प्रतियोगी, व्यवच्छेद और संख्या भ्रम होता है वहाँ द्वैत और नाना त्व होता है जैसे चेतन का प्रतियोगी जड़ और जड़ का प्रतियोगी चेतन है, व्यवहार अर्थात् परिच्छिन्न वह है जैसे घट में आकाश होता है और संख्या यह है कि जैसे जीव और ईश्वर ।
  10. देखेँ, द्रष्टाको द्रष्टा आप बोलते हो परिच्छिन्न “ अहं ” की उपाधि से युक्त करके, और ईश्वरको ईश्वर आप बोलते हो कारणकी उपाधिसे चैतन्यको युक्त करके इसलिए परिच्छिन्न अहमर्थको और पूर्ण अहमर्थको, सर्वज्ञको, ईश्वरको जीव पदका अर्थ और ईश्वर-पदका अर्थ दोनोँको व्यवहारमेँ रहने देँ ।
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