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चटपटी खबर sentence in Hindi

pronunciation: [ catapati khabar ]
चटपटी खबर meaning in English

Examples

  1. मीडियाई भाण्ड ” कहते हैं कि 24 घण्टे चैनल चलाने के लिये कोई न कोई चटपटी खबर चलाना आवश्यक भी है और ढाँचागत खर्च तथा विज्ञापन लेने के लिये लगातार “ कुछ हट के ” दिखाना जरूरी है।
  2. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के बारे में बोलते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की कही हुई एक बात को लेकर टीवी चैनलों में चटपटी खबर बन रही है।
  3. इस पूरे मामले में दाद देनी होगी मीडिया की, कि उसने इसे महज़ चटपटी खबर बनाकर नहीं छापा बल्कि अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए परी को सही हाथों तक पहुँचाया है इससे देखकर लगता तो है कि पत्रकारिता अभी जिन्दा है,उसमे सांस बाकी है।
  4. इस पूरे मामले में दाद देनी होगी मीडिया की, कि उसने इसे महज़ चटपटी खबर बनाकर नहीं छापा बल्कि अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए परी को सही हाथों तक पहुँचाया है इससे देखकर लगता तो है कि पत्रकारिता अभी जिन्दा है, उसमे सांस बाकी है।
  5. यदि किसी को लगे की ये समय की बर्बादी है तो कृपया कर अपना अमूल्य समय नष्ट ना करें, क्योकि यहाँ कोई जादू नहीं होने वाला और ना ही यहाँ बॉलीवुड की कोई चटपटी खबर आएगी ये मेरे अनुभव है जो की बहुत ही सरल और सहज है ।
  6. हमारे नेता जिन पर सविधान की रक्षा की जिम्मेदारी है वो स्वयं में ही व्यस्त है | आये दिन कोई न कोई चटपटी खबर नेताओं को लेकर मिडिया में तो आती रहती है | ख़ै र...... ये तो समाज की बात है | अब कभी कभी लगता है कि ये इतिहास क्या है?
  7. एक बार के लिए यह मान भी लिया जाये कि मीडिया पूरी तरह सच और यथार्थ दिखाने लगे, तो क्या हम उसे देखना पसंद करेंगे? ऐसा समाचारपत्र क्या कोई पढ़ेगा जो अर्धनग्न फोटो व चटपटी खबर न छापता हो? ऐसा चैनल कोई नहीं देखेगा, जो जिस्म के सौंदर्य से न लुभाये, सनसनी न फैलाये।
  8. वो किसी नेता की नोट लेती तस्वीर, आतंकी हमले में मरा आम आदमी, नक्सली निशाना बने पुलिसवाले, करोडों के भ्रष्टाचार में फंसा कोई अफसर/नेता, भूख से दम तोड चुका कोई इंसान, किसी गोली का शिकार कोई शेर/बाघ या हिरण, रैंप पर कैटवाक करती मॉडल के फिसल चुके कपडे, कलावतियों के घर का मखौल उडाता कोई राजकुमार, क्रिकेट के मैदान पर छक्का जडते खिलाडी हों, बालीवुड की कोई मसालेदार चटपटी खबर आदि, आदि या ऐसा ही कुछ जो बिके।
  9. इसके अलावा भारत में समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है फ़िर चाहे वह महंगाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, खेती की बुरी स्थिति, बेरोजगारी जैसी सैकड़ों बड़े-बड़े मुद्दे हैं, फ़िर आखिर न्यूज़ चैनलों को इस छिछोरेपन पर उतरने क्या जरूरत आन पड़ती है? इसके जवाब में “मीडियाई भाण्ड” कहते हैं कि 24 घण्टे चैनल चलाने के लिये कोई न कोई चटपटी खबर चलाना आवश्यक भी है और ढाँचागत खर्च तथा विज्ञापन लेने के लिये लगातार “कुछ हट के” दिखाना जरूरी है।
  10. इसके अलावा भारत में समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है फ़िर चाहे वह महंगाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, खेती की बुरी स्थिति, बेरोजगारी जैसी सैकड़ों बड़े-बड़े मुद्दे हैं, फ़िर आखिर न्यूज़ चैनलों को इस छिछोरेपन पर उतरने क्या जरूरत आन पड़ती है? इसके जवाब में “मीडियाई भाण्ड” कहते हैं कि 24 घण्टे चैनल चलाने के लिये कोई न कोई चटपटी खबर चलाना आवश्यक भी है और ढाँचागत खर्च तथा विज्ञापन लेने के लिये लगातार “कुछ हट के” दिखाना जरूरी है।
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