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पारिश्रमिक देना sentence in Hindi

pronunciation: [ parishramik dena ]
पारिश्रमिक देना meaning in English

Examples

  1. दीपक बापू कहिन का सहयोगी चिट्ठा-यहाँ मेरी मौलिक रचनाएं प्रकाशित है और इसके कहीं अन्य व्यवसायिक प्रकाशन के लिए मेरे से पूर्व अनुमति एवं पारिश्रमिक देना अनिवार्य होगा जो प्रति रचना दो हजार रूपये है ।
  2. दीपक भारतदीप की शब्द-पत्रिका दीपक बापू कहिन की सहयोगी पत्रिका-यहाँ मेरी मौलिक रचनाएं प्रकाशित है और इसके कहीं अन्य व्यवसायिक प्रकाशन के लिए मेरे से पूर्व अनुमति एवं पारिश्रमिक देना अनिवार्य होगा जो प्रति रचना दो हजार रूपये है ।
  3. दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका दीपक बापू कहिन का सहयोगी चिट्ठा-यहाँ मेरी मौलिक रचनाएं प्रकाशित है और इसके कहीं अन्य व्यवसायिक प्रकाशन के लिए मेरे से पूर्व अनुमति एवं पारिश्रमिक देना अनिवार्य होगा जो प्रति रचना दो हजार रूपये है ।
  4. हिंदी के अख़बारों को भी अंग्रेजी के अख़बारों की तरह अपने हिंदी लेखकों व् बुद्धिजीविओं को समुचित पारिश्रमिक देना चाहि ए. ह िंदी का मान बढ़ाने के लिए ये जरुरी है कि हिंदी में लिखने वालों को नकद धनराशि देकर पुरस्कृत और प्रोत्साहित किया जाये.
  5. उनका काम था बड़े पैमाने पर छापने के लिये पांडुलिपियों का चुनाव करना, उनके लिये लेखकों को पुस्तकों की बिक्री से पहले अग्रिम पारिश्रमिक देना, अलग अलग पांडुलिपियों के संस्करण का आकार प्रकार तथा मूल्य निर्धारित करना और बाजार तैयार करना जहाँ, अनेक प्रयत्न करके पुस्तकों को लाभ सहित बेचा जा सके।
  6. मेरा प्रस्ताव है कि सभी ब्लागर जब भी कहीं जाएँ तो पहले पूंछ लें कि कहीं कविता तो नहीं सुननी पड़ेगी और अगर सुननी पड़ी तो मेजवान को विदाई के समय हर ब्लागर को कम से कम ५ ०० रूपया पारिश्रमिक देना होगा! मगर यह लोग भी कम चालाक नहीं हैं भाभी जी से बिना पारिश्रमिक खाना और हमें बिना पारिश्रमिक श्रोता बनने पर मजबूर करते हैं!
  7. कुछ ऐसे कर्म हैं जो अधिमास एवं शुद्ध मास, दोनों में किए जा सकते हैं, यथा गर्भ का कृत्य (पुंसवन जैसे संस्कार), ब्याज लेना, पारिश्रमिक देना, मास-श्राद्ध (अमावस्या पर), आह्निक दान, अन्त्येष्टि क्रिया, नव-श्राद्ध, मघा नक्षत्र की त्रयोदशी पर श्राद्ध, सोलह श्राद्ध, चान्द्र एवं सौर ग्रहणों पर स्नान, नित्य एवं नैमित्तिक कृत्य [15] ।
  8. मेरा प्रस्ताव है कि सभी ब्लागर जब भी कहीं जाएँ तो पहले पूंछ लें कि कहीं कविता तो नहीं सुननी पड़ेगी और अगर सुननी पड़ी तो मेजवान को विदाई के समय हर ब्लागर को कम से कम ५०० रूपया पारिश्रमिक देना होगा! मगर यह लोग भी कम चालाक नहीं हैं भाभी जी से बिना पारिश्रमिक खाना और हमें बिना पारिश्रमिक श्रोता बनने पर मजबूर करते हैं! सलाह दें कि क्या किया जाये??
  9. कुछ पत्रिकाएँ तो फिर भी अपनी उपयोगिता सिद्ध करने के लिए वो बिना कहे ही भेज देते हैं मगर कुछ प्रकाशन आदि तो ऐसे होते हैं जो लेखक से ही कहते हैं कि वो उसका सदस्य बन जाये फिर उसे पत्रिका भेज दी जाएगी आखिर ये कहाँ तक उचित है कि तुम खुद तो लाभ उठाओ और लेखक को पारिश्रमिक देना तो दूर की बात उसकी एक प्रति भी ना उपलब्ध करवाओ बल्कि उसे ही खरीदने के लिए फ़ोर्स करो.
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