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उपेक्षित क्षेत्र sentence in Hindi

pronunciation: [ upeksit ksetra ]
उपेक्षित क्षेत्र meaning in English

Examples

  1. पहाड़ पहले भी उत्तर प्रदेश में रहते हुए आर्थिक गतिविधियों से कटा हुआ एक उपेक्षित क्षेत्र था, और आज भी जब एक राज्य के रूप में उत्तराखंड दस साल की यात्रा पूरी कर चुका है।
  2. इसी तरह कुआनो नदी के एक उपेक्षित क्षेत्र के, बाढ़, गरीबी, भूखमरी, बेबसी के क्षेत्र के एक फक्कड़ कवि सर्वेश्वर (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना) का इलाहाबाद में स्वागत किया गया था।
  3. ऐसे समुदाय या क्षेत्र की उपेक्षा सामान्यत: बड़े लोकप्रिय रेडियो प्रसारण द्वारा की जाती है वहां पर सामुदायिक रेडियो इस उपेक्षित क्षेत्र के श्रोताओं की स्थानीय भाषा और बोलियों में उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
  4. के उद् घोषक कवि स्व ० ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ' पंकज ' हिन्दी संसार से उपेक्षित क्षेत्र संताल परगना के एक ऐसे कवि है, जिनकी कविताओं में आम जन का संघर्ष अधिक मुखरित हुआ है.
  5. उद्यमियों से हुयी वार्ता के आधार पर कहा जा सकता है कि शहर के इस उपेक्षित क्षेत्र से न केवल रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं बल्कि प्रदेश सरकार को कई करोड़ रुपया राजस्व प्राप्त हो रहा है।
  6. इस लेख का संबंध बीजिंग में बैठी सरकार से हो या न हो, देश के उत्तर-पूर्व के लोगों को गहरा धक्का लगा है क्योंकि इस लेख में परोक्ष रूप से इस उपेक्षित क्षेत्र के अलगाववादी तत्वों के शब्दों को ही मुखर किया गया है.
  7. भारतीय धरती के सर्वाधिक उपेक्षित क्षेत्र पहाड़ के बालकंठ न्यौतते हुए न माँगे तो क्या करें? और किससे कहें? (कहने की बात ही नहीं ठहरी) उपेक्षित उपेक्षित ही से तो जुड़ने की उम्मीद, बात कहने की हिम्मत रखता है और उसी को डरा-धमका भी सकता है-
  8. बच्चों पर केन्द्रित कुछ सार्थक फ़िल्मों जैसे-‘ तारे ज़मीं पर ', ‘ इकबाल ', ‘ स्लमडॉग मिलिनेयर ', ‘ चिल्लर पार्टी ', ‘ भूतनाथ ', ‘ हनुमान ', ‘ स्टैनली का डब्बा ' आदि ने इस उपेक्षित क्षेत्र को भी फलने-फूलने का अवसर दिया है।
  9. नेवादा की राज्य सरकार, अड्डे से जुड़ी किंवदंत्तियों को जानने के बाद इस अपेक्षाकृत उपेक्षित क्षेत्र को कुछ पर्यटन क्षमता दे सकी, और आधिकारिक तौर पर एरिया 51 के नज़दीक राज्य मार्ग 375 के हिस्से को “द एक्स्ट्राटेरेस्ट्रीयल हाईवे” का नाम देते हुए रचनात्मक तरीके से चित्रित संकेतों को इस मार्ग पर लगाया.
  10. ताराचरण खवाडे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है-” मैं समदरशी देता जग को, कर्मों का अमर व विषफल के उद्घोषक कवि स्व ० ज्योतीन्द्र प्रसाद झा ' पंकज ' हिन्दी संसार से उपेक्षित क्षेत्र संताल परगना के एक ऐसे कवि है, जिनकी कविताओं में आम जन का संघर्ष अधिक मुखरित हुआ है.
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