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टाँगना sentence in Hindi

pronunciation: [ tamgana ]
टाँगना meaning in English

Examples

  1. और मेरा असली नाम जिस दिन सुन लोगे उस पेशाब के लिए कैथेटर टाँगना पड़ जाएगा क्योंकि कितने बार दौड़ोगे टायलेट की तरफ़।
  2. इतनी छोटी-सी दुकान में अब सारी साब्जियाँ कैसे सामने रखें? हमने तो अब सब्जियों के चित्रवाला चारट टाँगना शुरू कर दिया है।
  3. जैसे जूते टाँगना, नींबू-मिर्ची लटकाना, शनिवार को रेडलाइट पर सरसों तेल में लोहे के शनि महाराज को दान देना, राह चलते अगर किसी मातबर दरगाह या हनुमान मंदिर के दर्शन हो जायें तो सर झुका देना।
  4. बस्तर के अंदरूनी इलाकों में इस क्षेत्र-विशेष के नक्सलियों ने इन बच्चों के कंधों से बस्ता उतारकर, बंदूकें टाँगना अपना मकसद माना, ऐसी बेजा पहल से भी स्वयं को बचाते हुए, इन होनहार बच्चों ने अपना मुकाम पा ही लिया।
  5. नाम से जाना जाता है “ के प्रसार के दहेज ”, प्रदर्शन साधारण मामला नहीं है, महिलाओं की विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जो टाँगना और ले आउट करने के लिए कड़े नियमों के अनुसार हर एक टुकड़ा है.
  6. वजूद डा. जयश्री बंसलसोना, संसार की सबसे मँहगीधातु है माना,लगभग सभी स्त्रियों को यह्,ख़ुद से भी प्यारा है, चमक इसकी चुँधिया देती है,आँखों को लंबे समय तक्,मगर मुझे लगा,सोने से कील नहीं गाड़ी जा सकतीदीवार पर यदि कुछ टाँगना हो,तलवार नहीं बन सकती है,धर्म रक्षा...
  7. लोग बताते है कि इनके पास मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से संबंधित कार्य कराने वालों की भीड़ को देखते हुए इन्हें कभी-कभी अपने जिला मलेरिया कार्यालय भोपाल के सामने एक संदेश टाँगना पड़ता है जिस पर लिखा है कि-कृपया मुख्यमंत्री से संबंधित कार्यो के लिए संपर्क ना करें।
  8. किसी दीवार पर कहीं कोई चित्र होता-फ़ोटो टाँगना उसे बहुत बुरा लगता है, पर इस समय अगर माँ का फ़ोटो ही उसके पास होता, तो शायद उसी को दीवार पर टाँगकर वह यत्न करता कि उस चेहरे से नया परिचय प्राप्त करे, जो इतना अपरिचित हो गया था...
  9. देखिए एक बानगी-रामलला ओ बाबरी, अल्ला ओ भगवान भूखे जन से पूछिये, इनमें से कौन महान दीवारों पर टाँगना, ईसा सा इंसान यही सोचकर रह गईं, दीवारें सुनसान और एक शेर है कि-ख़ुदगर्जों का बढ़ा काफिला, क़ौम धरम को उकसाकर मोहरों से मोहरें लड़वाना इनका है ईमान मियाँ।
  10. यद्यपि लाला रूपाराम अक् सर चौकीदार को डाँटते थे कि रात में इसे उतारकर रख दिया कर, लेकिन किसी-किसी दिन आधी रात तक चक् की चलती और दुकान-दफ्तर वाले तो सुबह पाँच बजे से ही आने लगते-उस समय बर्फ जैसी ठंडी तराजू को छूना और टाँगना दिलावरसिंह को अधिक पसंद नहीं था।
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