हितहरिवंश sentence in Hindi
pronunciation: [ hitherivensh ]
Examples
- राधावल्ल्भ संप्रदाय के प्रमुख आचार्य गोस्वामी हितहरिवंश जी के जीवनदशर्न का इनके ऊपर ऐसा मोहक प्रभाव पड़ा कि इनकी अंतर्वृत्ति नित्यकिशोरी राधा तथा नित्यकिशोर कृष्ण के निकुंजलीलागान में रम गई।
- चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है ।
- कृष्णाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि [[सूर]] दास, [[नंददास]], [[मीरां]] बाई, [[हितहरिवंश]], [[हरिदास]], [[रसखान]], [[नरोत्तमदास]] आदि थे।
- जब हितहरिवंश जी से दीक्षा लेकर व्यास जी वृंदावन में ही रह गए तब महाराज ' मधुकर साह' इन्हें ओरछा ले जाने के लिए आए, पर ये वृंदावन छोड़कर न गए और अधीर होकर इन्होंने यह पद कहा-
- इसके विपरीत मीरां के मार्गदर्शन के लिये महाप्रभु वल्ल्भाचार्य, गोस्वामी विठ्ठलनाथ, महात्मा सूरदास, गुंसाई हितहरिवंश, स्वामी हरिदास जैसे महात्मा ब्रजमण्डल में उपलब्ध थे, जिन्होने उस समय तक काफी कीर्ति अर्जित कर ली थी ।
- नारद जयंती (19 मई) · बुद्ध जयंती / बुद्ध पूर्णिमा (17 मई) · पूर्णिमा व्रत (17 मई) · नृसिंह जयंती (16 मई) · प्रदोष व्रत (15 मई) · हितहरिवंश महाप्रभु जयंती (13 मई) · मोहिनी एकादशी (13 मई) · सीता नवमी (12 मई)
- अंगुत्तरनिकाय · अमीर ख़ुसरो · अश्वघोष · कालिदास · गीता कर्म जिज्ञासा · गीतावली · जीव गोस्वामी · बिहारी · ब्रजभाषा · तुलसीदास · रसखान · रहीम · वैष्णवन की वार्ता · सनातन गोस्वामी · सूरदास · हितहरिवंश · कल्हण · सूरसागर · पृथ्वीराज रासो ·
- अंगुत्तरनिकाय · अमीर ख़ुसरो · अश्वघोष · कालिदास · गीता कर्म जिज्ञासा · गीतावली · जीव गोस्वामी · बिहारी · ब्रजभाषा · तुलसीदास · रसखान · रहीम · वैष्णवन की वार्ता · सनातन गोस्वामी · सूरदास · हितहरिवंश · कल्हण · सूरसागर · पृथ्वीराज रासो · भक्त
- व्यास एक कुल कुमुद चंद बिनु उडुगन जूठी थार जब हितहरिवंश जी से दीक्षा लेकर व्यास जी वृंदावन में ही रह गए तब महाराज मधुकर साह इन्हें ओरछा ले जाने के लिए आए, पर ये वृंदावन छोड़कर न गए और अधीर होकर इन्होंने यह पद कहाए वृंदावन के रूख हमारे माता पिता सुत बंधा।
- इसका आरंभ सोलहवीं शती में वल्लभाचार्य तथा हितहरिवंश आदि महात्माओं ने लोक प्रचलित, जिस शृंगार प्रधान रास में धर्म के साथ नृत्य, संगीत की पुनः स्थापना की और उसका नेतृत्व रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण को दिया था, वही राधा तथा गोपियों के साथ कृष्ण की शृंगार पूर्ण क्रीड़ाओं से युक्त होकर ' रासलीला ' के नाम से अभिहित हुआ।