सरदार स्वर्ण सिंह sentence in Hindi
pronunciation: [ serdaar sevren sinh ]
Examples
- रणबीर फोर, संजय देसवाल, महाबीर फोर, बलबीर पूनिया, सरदार स्वर्ण सिंह, ओम प्रकाश गुढा, रघुबीर फोर, सुभाष पानू फुरलक, जसवंत सिंह सन्धू, प्रीत्तम डिंगरमाजरा, सुमेर डिंगरमाजरा, रजनीश धनखड़ आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।
- सरदार स्वर्ण सिंह पाकिस्तान की सेना पर भारी पड़ चुके भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी रियाया को नियंत्रित करने के गुण धर्म और अंतरराष्ट्रीय राजनय की दीक्षा में बेहतर जुल्फिकार अली भुट्टो वार्ता की टेबल पर स्थिति को पलटने में कामयाब रहे.
- सरदार स्वर्ण सिंह पाकिस्तान की सेना पर भारी पड़ चुके भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी रियाया को नियंत्रित करने के गुण धर्म और अंतरराष्ट्रीय राजनय की दीक्षा में बेहतर जुल्फिकार अली भुट्टो वार्ता की टेबल पर स्थिति को पलटने में कामयाब रहे.
- किन्तु बालक भगत सिंह का जन्म ही शुभ था अथवा दिन ही अच्छे आ गये थे कि उनके जन्म के तीसरे ही दिन उसके पिता सरदार किशन सिंह तथा सरदार स्वर्ण सिंह जमानत पर छूट कर घर आ गये तथा लगभग इसी समय दूसरे चाचा सरदार अजीत सिंह भी रिहा कर दिये गये।
- सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा संस्थान समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण सामान्य प्रवेश परीक्षा (सेट) जीपी नाविक पाठ्यक्रम एसवीपी राष्ट्रीय पुलिस अकादमी जम्मू एंड कश्मीर स्टेट ओवरसीज एम्प्लायमेंट कॉर्पोरशन लिमिटेड विधि और न्याय मंत्रालय राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान तथा अनुसंधान केंद्र, बंगलौर समुद्री उत्पात निर्यात विकास प्राधिकरण नेशनल इंस्टीटच्यूट ऑफ एनिमल बॉयोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद विज्ञापन
- बैठक मेें उपस्थित पदाधिकारियों में प्रदेश अध्यक्ष रामआसरे वर्मा, राश्ट्रीय महासचिव मुन्ना सिंह चौहान, महासचिव व प्रवक्ता अनिल दूबे, पूर्व मन्त्री सिच्चदानन्द गुप्त, पूर्व मन्त्री धर्मवीर सिंह वालियान, नरेन्द्र सिंह बघेल, सुखवीर सिंह पूर्व विधायक, चन्द्र बली यादव, प्रदेश सचिव सरदार स्वर्ण सिंह, किरन सिंह आदि लोग प्रमुख थे।
- पैदा होते ही चाचा सरदार अजीत सिंह के निर्वासन की समाप्ति तथा पिता सरदार किशन सिंह तथा छोटे चाचा सरदार स्वर्ण सिंह (जिन्हें बाद में 19 दिसंबर, १९२७ को काकोरी रेल डकैती केस में फाँसी दे दी गई) के जेल से छूटने के कारण (तीनों ही गदर पार्टी के कार्यकर्ता थे) सबने उसे ‘भागोंवाला' तथा दादी सरदारनी जयकौर ने नाम दिया “भगत सिंह”।
- पैदा होते ही चाचा सरदार अजीत सिंह के निर्वासन की समाप्ति तथा पिता सरदार किशन सिंह तथा छोटे चाचा सरदार स्वर्ण सिंह (जिन्हें बाद में 19 दिसंबर, १ ९ २ ७ को काकोरी रेल डकैती केस में फाँसी दे दी गई) के जेल से छूटने के कारण (तीनों ही गदर पार्टी के कार्यकर्ता थे) सबने उसे ‘ भागोंवाला ' तथा दादी सरदारनी जयकौर ने नाम दिया “ भगत सिंह ” ।