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सरकारी माल sentence in Hindi

pronunciation: [ serkaari maal ]
"सरकारी माल" meaning in English  

Examples

  1. क्या दुनिया में ऐसा भी कोई देश है जहां इतना गेहूं सड़ रहा है मै आपसे और अपने आप से पूछता हूं ये सवाल, खेलों के नाम पर छली गई आम जनता की खाल कॊमनवेल्थ के नाम पर जितना उड़ाया गया सरकारी माल, तो गेहूं छुपाने में क्यों रहे हम कंगाल
  2. वैसे भी सरकारी एवं गैर सरकारी माल पर एशोआराम की जिदंगी जी रहे फाइव स्ट्रार संस्कृति में जी रहे एनजीओं के दिल्ली एवं न्यूयार्क में बैठे आकाओं के रहमो करम पर फल-फूल रहे एनजीओं को अब स्कूली बच्चों के लिए भी हर स्कूल में फोरम बनाने का ठेका मिल गया हैं।
  3. आरटीआई एक्ट का कमाल, आखिर मिल ही गया सरकारी माल मरने के बाद जीती एरियर की लड़ाई प्रदेश वेल्फेयर एडवाइजरी बोर्ड ने रिलीज की साढ़े चाल की राशि बोर्ड के 75 सेवानिवृत कर्मचारियों को उनका रूका हुआ मिला एरियर उनकी उम्मीद टूट चुकी थी कि सरकार के पास फंसा उनका पैसा उन्हें वापस मिलेगा।
  4. बड़ी उम्मीदों से हमारी सरकार ने तुम्हें उडन खटोले से भेजा-तुम खूब सरकारी माल खाते-गाते देश का झंडा लहराते हुए पहुंचे, पर पाया क्या-एक टका तक नहीं-भद पिटवा दी-देश की नाक नीची करवा दी-हम ने तुम लोगों पर कितना विश्वास किया, पर तुम सब निकले ढक्कन।
  5. न तो हम जैसे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्त्ता सरकार को मिलेंगे और न ही सरकार का कोई सर्वोच्च (जैसे प्रधानमंत्री) ही बाबा की तरह योग कर पायेगा, ऊपर से सरकारी माल और जनता बेहाल! वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग में योग संस्थानों के कर्ताधर्ताओं को देखें तो उन पर चढ़ी चर्बी साफ दिख जाएगी।
  6. क्योंकी खास आदमी को सरकारी अफ़सरों को और ठगी से बन रहे नेताओं को इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ने वाला क्योंकी दाम बढे या ना बढे उनके बाप का क्या जाता है सरकारी माल से खरीदा जाता है सब कुछ, मेहनत की कमाई तो जाती है आम आदमी की,जिसकी चिंता करने का सरकार के पास टाईम ही नही है।
  7. न तो हम जैसे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्त्ता सरकार को मिलेंगे और न ही सरकार का कोई सर्वोच्च (जैसे प्रधानमंत्री) ही बाबा की तरह योग कर पायेगा, ऊपर से सरकारी माल और जनता बेहाल! वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग में योग संस्थानों के कर्ताधर्ताओं को देखें तो उन पर चढ़ी चर्बी साफ दिख जाएगी।
  8. क्योंकी खास जनता को, सरकारी अफ़सरों को और ठगी से बन रहे नेताओं को इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ने वाला क्योंकी दाम बढे या ना बढे उनके बाप का क्या जाता है सरकारी माल से खरीदा जाता है सब कुछ, मेहनत की कमाई तो जाती है आम आदमी की, जिसकी चिंता करने का सरकार के पास टाईम ही नही है।
  9. पहले रास्ते में कुछ जली हुई बसें मिली, सब की सब सरकारी थी और लोगों ने उन्हें सरकारी माल की तरह हे जला मारा था, सिसक सिसक कर खेने लगीं, यार ये बात ग़लत है हर बार तुम लोग हमें ही अपने बाप का माल समझ कर जला देते हो, इन देलाक्स बसों को हमेशा ही छोड़ देते हो ।
  10. जमाना है जातिवालो का मालिक के आगे दम हिलानेवालों का टार जाता है उनका जीवन जो खाते है मालिक की लात और सुनते है जाहिलो की बात आफिस में करने के लिए प्रोमोशन सरकारी माल में खाओ कमीशन सीखो दुनियादारी निति है ये प्यारी मंत्रीजी से करो यारी काम करो गैर सरकारी फैलाकर दंगा उठालो तिरंगा बन जाओगे नेता खड़ा हो जाओ बांध फेटा न लेगा तुझ से कोई पंगा तेरा बाप है राणा साँगा शशिकांत निशांत शर्मा ‘ साहिल '
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