शुद्ध विज्ञान sentence in Hindi
pronunciation: [ shudedh vijenyaan ]
Examples
- शुद्ध विज्ञान कैसे चीज़ें काम करती हैं देखता हैं | व्यावहारिक विज्ञान उस ज्ञान का प्रायोगिक उपयोग करता हैं | जब रसायन शास्त्र शुद्ध विज्ञान, रासायनिक अभियांत्रिकी व्यावहारिक विज्ञान है | सामुदायिक सशक्तिकरण और संगठन कि क्षमता मै विकास व्यावहारिक सामाजिक विज्ञानों के दो उदाहरण हैं |
- आखिर क्यों भारतीय शुद्ध विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म-गणित, मंत्र-तंत्र-यंत्र, ज्योतिष, स्वरोदय, मुद्रा-अनुसंधान, सूर्य-सिद्धांत, पारद रस-शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, जिनके ही कारण भारत विश्व-गुरू कहलाता था, को कपोल-कल्पित, अंधविश्वास, पाखंड, ढोंग सिद्ध कर दिया गया है?
- कार्यकर्ता का सामाजिक अनुसंधान शुद्ध विज्ञान में अनुसंधान, जैसे समाजशास्त्र और नृविज्ञान, से भिन्न हैं | यह भले हि सूक्ष्म ना हो लेकिन वह तेज और जितना हो सके उतना अनौपचारिक होना चाहिए | यह जानकारी को जानकारी मात्र के लिए खोजा नही जाता, किंतु प्रत्येक सूचना को समुदाय को सशक्त करने के लिए प्रभावी तरीक़े ईजाद करने में ईस्तमाल किए जाते है।
- इन अनुभवों से सबक लेते हुये हमें भी शुद्ध विज्ञान, उच्च तकनीकि व व्यवसायिक प्रबंधन के प्रशिक्षण व अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वस्तरीय संस्थानों का निर्माण करने व उन्हे उन्नतशील करने हेतु गंभीरता पूर्वक व लगातार निवेश करते रहने की अतीव आवश्यकता है, ताकि आने वाले भविष्य में उच्चकोटि की उद्यमशीलता के विकास हेतु उचित वैज्ञानिक व तकनीकि दक्षतापूर्ण वातावरण का निर्माण हो सके ।
- विज्ञान लेखन में जनप्रिय विज्ञान लेखन के समानान्तर उच्चस्तरीय, शोधपरक, मौलिक, समस्यामूलक, भूवैज्ञानिक विषयोें को समर्पित तथा अन्य शुद्ध विज्ञान विषयों को समर्पित आलेख शोधपत्र पुस्तक लिखने की परम्परा को गति देने की अत्याधिक आवश्यकता है क्योंकि ऐसे शोधपत्रों आलेखों तथा पुस्तकों से विज्ञान के विभिन्न विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र (स्नातक, परास्नातक), शोध कर रहे छात्र तथा विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के संबंधित विशेषज्ञ विशेष लाभान्वित होंगे।
- शुद्ध विज्ञान अनुसंधान, नृविज्ञान के अंतर्गत नौकरीओं सहभागी प्रेक्षण टिप्पणी साधारणत: | उक्त पद्धति, मानवविळ्ाानी में जहाँ संस्कृति भिन्न भिन्न है समुदाय के साथ रहने के लिए जाते है से उनके अथवा उनके जन्म, लेअर्ंस भाषा और रीति रिवाज से और उक्त विदेशज समाज के संस्कृति के बारे में सूचना देते हैं | सहभागी प्रेक्षण टिप्पणी (नृविज्ञान में) मै काफ़ी समय लगता है | कार्यकर्ता के पास अनुसंधान के ईतना वक्त नही होता।
- “इसी प्रकार परमेश्वर की उपासना करके, अविद्या आदि क्लेश तथा अधर्म्माचरक़्ण आदि दुष्ट गुणों को निवारण करके, शुद्ध विज्ञान और धर्मादि शुभ गुणों के आचरण से आत्मा की उन्नति करके, जीव मुक्ति को प्राप्त हो जाता है | अब इस विषय में योगशास्त्र का प्रमाण लिखते हैं | पूर्व लिखी हुई चित्त की पांच वृतियों को यथावत् रोकने और मोक्ष के साधन में सब दिन प्रवृत रहने से, नीचे लिखे हुए पांच क्लेश नष्ट हो जाते हैं | वे क्लेश ये हैं..