विपिनचंद्र पाल sentence in Hindi
pronunciation: [ vipinechender paal ]
Examples
- जहा बालगंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल तथा लाला लाजपत राय जैसे गरम दलीय कांग्रेसी नेताओं के प्रमुख मुद्दों में बंगाल विभाजन के साथ विदेशी मालो का बहिष्कार करने, स्वदेशी मालो को अंगीकार करने तथा राष्ट्रीय शिक्षा लेने और स्वराज पाने पर जोर था।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व बेहतरीन वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व बेहतरीन वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है।
- स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल बाल पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व बेहतरीन वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है।
- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के साथ-साथ कई प्रमुख राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे ' हिन्दू मेला' और क्रांतिकारी संगठन 'युगांतर', 'अनुशीलन' की स्थापना इसी शहर में हुई साथ ही इस शहर को भारत की बहुत सी महान हस्तियों जैसे प्रारंभिक राष्ट्रवादी अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल थे।
- त्रिमूर्ती (लाला लाजपत राय, विपिनचंद्र पाल तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक) लाल, पाल, बाल में बाल के नाम से विख्यात तिलक ने गणेशोत्सव को धार्मिक कुरीतियाँ अस्पृश्यता के दोषों को दूर करने तथा, शिक्षा के प्रचार प्रसार का माध्यम बनाया तथा उनका सबसे महत्पूर्ण योगदान रहा स्वाधीनता आन्दोलन में इन मंडलों के माध्यम से अलख जगाने में, जनजागृति उत्पन्न करने में.
- क्रांतिकारी विचारों के जनक:-विपिन चंद्र पाल (० ७ / ११ / १ ८ ५ ८-२ ० / ० ५ / १ ९ ३ २) स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल बाल पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व बेहतरीन वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है।
- अगर हिन्दी साम्राज्यवादिनी होती तो अंग्रेजी साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकनेवाले लोकमान्य तिलक, लाला लाजपतराय, विपिनचंद्र पाल और महात्मा गांधी इसके समर्थन में असाधारण रूप से आगे बढ़ते? स्वामी दयानंद की भाषा तो गुजराती थी, वह क्यों अपना 'सत्यार्थ प्रकाश' हिन्दी में लिखते? क्यों उनका आर्यसमाज हिन्दी-प्रचार को अपना प्रमुख उद्देश्य बनाता? अगर महर्षि दयानंद को यह ज्ञात होगया होता कि हिन्दी काशी-प्रयाग के सनातनी पंडितों और पंडों की कट्टरता और संकीर्णता की प्रतीक है तो वह क्रांतद्रष्टा महर्षि हिन्दी के झमेले में कदापि न पड़ता।