विजय मोहन सिंह sentence in Hindi
pronunciation: [ vijey mohen sinh ]
Examples
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हजारी प्रसाद द्विवेदी की परम्परा में डॉ. रामविलास शर्मा, डॉ. नामवर सिंह, डॉ. विजय मोहन सिंह, शिवकुमार मिश्र, मैनेजर पाण्डेय, सुधीश पचौरी, मधुरेश, पुष्पपाल सिंह, निर्मला जी हैं।
- उनके बातचीत के तौर-तरीके कैसे थे, ज्योति की नजर में वे कुछ यों अभिव्यक्त हुए हैं: ” एक दिन (राजेन्द्र) सर ने विजय मोहन सिंह को फोन किया उनकी (प्रकाश्य) किताब के बारे में जानने के लिए।
- प्रश्न-और आलोचकों में कौन से लोग ध्यान आकर्षित करते हैं? उत्तर-वर्तमान समय में डाॅ 0 नामवर सिंह, विजय मोहन सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, और डाॅ 0 परमानंद श्रीवास्तव आदि महत्वपूर्ण और पढ़े जाने वाले आलोचक है।
- जो पराजित है वही विजेता है ' लूजर विन्स' मुहावरे को सत्य करती हुई।” उक्त विचार प्रख्यात कथाकार और आलोचक डॉ. विजय मोहन सिंह ने हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित 'कथा समुच्चय' कार्यक्रम में संजीव द्वारा पढ़ी गई कहानी 'ऑपरेशन जोनाकी' पर व्यक्त किए।
- इस अवसर पर मूलचंद बड़जाते, से. रा. यात्री, संजीव, विजय मोहन सिंह, भरत महोदय, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. अनिलके. राय ‘ अंकित ', प्रो. के. के. सिंह, प्रो.
- विश् वविद्यालय के ‘ राइटर-इन-रेजीडेंस ' व व रिष् ठ साहित् यकार डॉ. विजय मोहन सिंह ने डॉ. रामविलास शर्मा के साहित्यिक व वैचारिक योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि मैं डॉ. रामविलास शर्मा को आधुनिक समीक्षा का पहला आधुनिक समीक्षक मानता हूँ।
- विश् वविद्यालय के स् वामी सहजानंद सरस् वती संग्रहालय में आयोजित शोक सभा के दौरान कुलपति विभूति नारायण राय की प्रमुख उपस्थिति में ‘ राइटर-इन-रेजीडेंस ' कथाकार संजीव, विजय मोहन सिंह, रामशरण जोशी, प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन बतौर वक् ता मंचस् थ थे।
- काफ्का कैफेटेरीया की इस गतिविधि को डॉ. विजय मोहन सिंह ने एक सुखद अनुभव बताया, साथ हीं साथ यह जोड़ा की शायद हीं कहीं आज काफ्का पर कोई लिखता, पढ़ता, बोलता हो ऐसे में यह साहित्यिक गोष्ठी एक रोमांचक एवं यादगार अनुभव है।
- डॉ. विजय मोहन सिंह ने काफ्का के साहित्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि काफ्का को मॉडर्न फिक्शन का जनक माना जाता है, यद्धपि काफ्का स्वयं को अत्यंत लघु और शुद्र मानते रहे, उन्हें आजन्म शुद्रता की तीव्र अनुभूति के ताप से गुजरना पड़ा।
- विजय मोहन सिंह ने अज्ञेय को लिखा था कि शेखर को पढ़कर मैं आपको अपने काफी निकट महसूस करता हूं और उन्होंने ऑफर किया था कि मैं खुद उन आलोचकों को जवाब देने के लिए तैयार हूं जिनको आपने अपनी इस सबसे प्यारी पुस्तक की आलोचनाओं का मुंहतोड़ जवाब नहीं दिया।