लौकिक साहित्य sentence in Hindi
pronunciation: [ laukik saahitey ]
Examples
- स्वामी विज्ञानानन्द ने हिन्दू नाम की उत्पति के विषय में कहा कि हमारा हिन्दू नाम हजारों वर्षों से चला आ रहा है जिसके वेदो संस्कृत व लौकिक साहित्य में व्यापक प्रमाण मिलते है।
- इसके अलावा गीतिका, हरगीतिका, मालिनी, छप्पय, चौपाई, सौरठा, कवित्त, सवैया, ख्याल, रोला, उल्लाला तथा मत्तगयंद इत्यादि छंद-पदावली को लौकिक साहित्य के साधकों में बेहद लोकप्रियता प्राप्त होती रही है।
- गुप्तकालीन भारत तक शिक्षा की प्रगति अबाध गति तक चलती रही. लौकिक साहित्य की सर्जना के लिए गुप्त काल स्मरणीय माना जाता है.शूद्रक का मृच्छ कटिक,कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम,अमर सिंह का अमरकोश इस काल की वे सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ थी,जो की
- राजा रवि वर्मा की एक अमर कृति: राजकुमारी दमयंती और राजहंस हमारे लौकिक साहित्य में भी हंस को कई रूपों में जाना समझा गया है-दो हंसो का जोड़ा दाम्पत्य निष्ठा का प्रतीक है तो हंस आत्मा का भी प्रतीक है..
- गुप्तकालीन भारत तक शिक्षा की प्रगति अबाध गति तक चलती रही. लौकिक साहित्य की सर्जना के लिए गुप्त काल स्मरणीय माना जाता है.शूद्रक का मृच्छ कटिक,कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम,अमर सिंह का अमरकोश इस काल की वे सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ थी,जो की
- छिनाल / छिनार शब्द लौकिक साहित्य में धड़ल्ले से व्यवहृत होता रहा है-प्रेम से गाई जाने वाली “गाली” में वर वधू उभय पक्ष सम्मानित सम्बन्धियों तक को इससे विभूषित कर आनन्द का सृजन किया जाता रहा है मगर ध्यान देने वाली बात है कि यहाँ वैश्या शब्द वर्जित है-अंगरेजी के अधकचरे पत्रकारों ने तमाशा बना कर रख दिया!
- संस्कृत में लिखी कालिदास की कविताएँ साहित्य की धरोहर हैं लेकिन अपनी आध्यात्मिक ऊँचाई लिये आदि शंकराचार्य की कविता को आलोचकों ने अपनी समीक्षा के योग्य नहीं समझा क्योंकि बहुत पहले से ही धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य में भेद करने की परंपरा भारत में डाल दी गई, इस मायने में केवल तुलसी भाग्यशाली साहित्यकार रहे और इस शताब्दी में कबीर भी।
- छिनाल / छिनार शब्द लौकिक साहित्य में धड़ल्ले से व्यवहृत होता रहा है-प्रेम से गाई जाने वाली “ गाली ” में वर वधू उभय पक्ष सम्मानित सम्बन्धियों तक को इससे विभूषित कर आनन्द का सृजन किया जाता रहा है मगर ध्यान देने वाली बात है कि यहाँ वैश्या शब्द वर्जित है-अंगरेजी के अधकचरे पत्रकारों ने तमाशा बना कर रख दिया!
- भारतीय समाज व राष्ट्र को जिस व्यक्तित्व पर गर्व है, जिसको पूर्ण में अनुकरणीय माना जाता है, संस्कृत का लगभग आधा लौकिक साहित्य जिस पर अवलम्बित है, एक कल्पनातीत लम्बे काल के व्यतीत हो जाने पर भी आज भारतीय समाज जिससे अन्तःकरण की गहराइयों तक प्रभावित है, वह राम और उसकी रामायणी कथा अपने चमत्कारपूर्ण वर्णनों के आधार पर एक कल्पनामात्र समझ ली जाती है।
- भारतीय समाज व राष्ट्र को जिस व्यक्तित्व पर गर्व है, जिसको पूर्ण में अनुकरणीय माना जाता है, संस्कृत का लगभग आधा लौकिक साहित्य जिस पर अवलम्बित है, एक कल्पनातीत लम्बे काल के व्यतीत हो जाने पर भी आज भारतीय समाज जिससे अन्तःकरण की गहराइयों तक प्रभावित है, वह राम और उसकी रामायणी कथा अपने चमत्कारपूर्ण वर्णनों के आधार पर एक कल्पनामात्र समझ ली जाती है।