लोग भूल गए हैं sentence in Hindi
pronunciation: [ loga bhul ga hain ]
Examples
- उन्होंने कहा कि काफी लोग मेरी वापसी के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग भूल गए हैं कि चोट से पहले मैंने अपने अंतिम वनडे में ‘ मैन ऑफ द मैच ' प्रदर्शन किया था।
- परन्तु इनकी पहचान सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हंसों, लोग भूल गए हैं तथा कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ जैसे संग्रहों द्वारा पत्रकारिता को कविता में संभव करने वाले कवि के रूप में स्थापित हुई।
- परन्तु इनकी पहचान सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हंसों, लोग भूल गए हैं तथा कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ जैसे संग्रहों द्वारा पत्रकारिता को कविता में संभव करने वाले कवि के रूप में स्थापित हुई.
- परन्तु इनकी पहचान सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हंसों, लोग भूल गए हैं तथा कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ जैसे संग्रहों द्वारा पत्रकारिता को कविता में संभव करने वाले कवि के रूप में स्थापित हु ई.
- एक तरफ जहां कुछ लोग इस बात से खुश हो रहे हैं कि इस बार का अध्यक्ष संघ के मुताबिक नहीं बल्कि पार्टी के मुताबिक बना है असल में वह लोग भूल गए हैं कि राजनाथ भी संघ के सबसे बड़े चहेते हैं.
- पर आज! शायद लोग भूल गए हैं पढ़ना गंगा के वक्ष पर लिखी भाषा और यह भाषा मेरे बचपन में जैसी थी आज भी है, ज्यों-की-त्यों, वैसी ही माँ और गंगा की भाषा में आज भी, नहीं कर पाता मैं कोई अन्तर.
- उन पोस्टों को देखकर यह बात दिमाग में घुमड़ती कि भड़ास के मास्टहैड के नीचे लिखे इस वाक्य को...“अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...” लोग भूल गए हैं या यशवंत जी ने रुचि लेना बंद कर दिया है?
- इस माहौल में आज यह लगता है कि गुजरात दंगों की लाशों से घिरे हुए मोदी के खिलाफ देश में जो माहौल होना चाहिए था, उसे भी लोग भूल गए हैं, क्योंकि उन्हें यूपीए सरकार और कांग्रेस के रोजाना के घोटाले बुरी तरह याद हैं।
- यहां हर पार्टी एक दूसरे पर डोरे डाल रही है लेकिन इस काशिश में लोग भूल गए हैं कि चुनावी मुद्दा क्या होगा? इसी को याद दिलाने के लिए विभिन्न महिला संगठनों ने महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कृषि भूमि में मालिकाना हक दिए जाने के लिए राजनैतिक पार्टियों से कहा है।
- “ ये ” और इस प्रकार की शुभ कामनाएं अब खोखली सी लगने लगी हैं | चाहे कोई हमें दे या हम किसी को दें, केवल औपचारिकता जैसा ही लगता है | दरअसल आजकल के मीडिया ने हमारे पर्वों-त्योहारों का इतना बाजारी करण कर दिया है कि उनकी वास्तविकता को ही लोग भूल गए हैं | पहले हम शुभकामना देते हैं;