राजा रामपाल सिंह sentence in Hindi
pronunciation: [ raajaa raamepaal sinh ]
Examples
- सन् 1905 में छोटूराम जी ने कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया और यहीं सन् 1907 तक अंग्रेजी के हिन्दुस्तान समाचारपत्र का संपादन किया।
- इसी अधिवेशन में उपस्थित कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह ने महामना मालवीय जी के प्रभावशाली भाषण से मंत्रमुग्ध होकर उनसे अपने दैनिक “ हिन्दोस्थान ” के संपादन का दायित्व संभालने का अनुरोध किया।
- बैठक में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री विद्या स्टोक्स, धनीराम शांडिल, एआईसीसी सचिव और राज्य में पार्टी मामलों के प्रभारी राजा रामपाल सिंह तथा क्षेत्र की सभी 17 विधानसभा सीटों के विधायक भाग लेंगे।
- जब मैं 1892 ई. में कालाकांकर नरेश तत्रभवान राजा रामपाल सिंह की आज्ञा से ‘ हिंदोस्थान ' के संपादकीय विभाग में काम करने को पहुंचा, तब वहां साहित्यकारों की एक नवरत्न कमेटी-सी हो गई थी।
- में कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन के अवसर पर कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह से उनका परिचय हुआ तथा मालवीय जी की भाषा से प्रभावित होकर राजा साहब ने उन्हें दैनिक ' हिन्दुस्तान' का सम्पादक बनने पर राजी कर लिया।
- में कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन के अवसर पर कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह से उनका परिचय हुआ तथा मालवीय जी की भाषा से प्रभावित होकर राजा साहब ने उन्हें दैनिक ' हिन्दुस्तान' का सम्पादक बनने पर राजी कर लिया।
- सन् १८८६ ई० में कांग्रेस के दुसरे अधिवेशन के अवसर पर कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह से उनका परिचय हुआ त्ा मालवीय जी की भाषा से प्रभावित होकर राजा साहब ने उन्हें दैनिक हिन्दुस्तान का सम्पादक बनने पर राजी कर लिया।
- महामनापण्डितमदन मोहन मालवीय जी एवं कालाकाकर नरेश राजा रामपाल सिंह भी एक दिनकेलिए इसी `ब्राहम्ण कुटीर ' में मिश्र जी से मिलने आये थे यह तो उसब्राहम्णकी` ब्राहम्ण कुटीर' थी जिसमें उसने अपना सर्वस्व त्यागकर हिन्दी, हिन्दूऔर हिन्दुस्तान को समर्पित कर दिया था.
- सन् १ ८८ ६ ई ० में कांग्रेस के दुसरे अधिवेशन के अवसर पर कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह से उनका परिचय हुआ त्ा मालवीय जी की भाषा से प्रभावित होकर राजा साहब ने उन्हें दैनिक हिन्दुस्तान का सम्पादक बनने पर राजी कर लिया।
- आज 1885 के राजा रामपाल सिंह जैसे विशुद्ध लडाके नहीं बचे है जिन्होने राष्ट्रीय जागरण के लिये हिन्दी दैनिक ' हिन्दोस्थान ' का प्रकाशन किया, और ऐसे ही अनगिनत पत्र प्रकाशित किये जाते रहे जो भारत की ऊर्जा, उसका आत्मबल साबित होते रहे।