महात्मा रामचन्द्र वीर sentence in Hindi
pronunciation: [ mhaatemaa raamechender vir ]
Examples
- पत्नी अल्पकालीन सामीप्य के पश्चात् पिता के घर लौटी एवं वहीँ उन्होंने अमर हुतात्मा गोपालदास जी के १ २ वे वंशधर तथा परम तेजश्वी संत, महात्मा रामचन्द्र वीर के एकमात्र आत्मज आचार्य धर्मेन्द्र को जन्म दिया.
- (सन १ ९ ० ९) को गोमाता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले झुझारू धर्माचार्य महात्मा रामचन्द्र वीर का जन्म श्रीमद स्वामी भूरामल जी व श्रीमती विरधी देवी के घर पुरातन तीर्थ विराटनगर (राजस्थान) में हुआ।
- श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी तथा पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निरंजनदेव तीर्थ तथा महात्मा रामचन्द्र वीर के आमरण अनशन ने आन्दोलन में प्राण फूंक दिये थे किन्तु जनसंघ इसका प्रारम्भ से अपने राजनैतिक लाभ के लिये एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा था ।
- श्री संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी तथा पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निरंजनदेव तीर्थ तथा महात्मा रामचन्द्र वीर के आमरण अनशन ने आन्दोलन में प्राण फूंक दिये थे किन्तु जनसंघ इसका प्रारम्भ से अपने राजनैतिक लाभ के लिये एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा था ।
- श्री संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी तथा पुरी के जगद् गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निरंजनदेव तीर्थ तथा महात्मा रामचन्द्र वीर के आमरण अनशन ने आन्दोलन में प्राण फूंक दिये थे किन्तु जनसंघ इसका प्रारम्भ से अपने राजनैतिक लाभ के लिये एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा था ।
- जहाँ मध्यकाल में वाल्मीकि रामायण से प्ररेणा लेकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने जन सामान्य के लिए अवधी भाषा में रामचरित मानस की रचना की, वहीं आधुनिक काल में वाल्मीकि रामायण से ही प्रेरित होकर महात्मा रामचन्द्र वीर ने हिन्दी भाषा में श्री रामकथामृत लिखकर एक नया अध्याय जोडा है।
- महात्मा रामचन्द्र वीर की अन्य प्रकाशित रचनाएँ हैं-वीर का विराट् आन्दोलन, वीर रत्न मंजूषा, हिन्दू नारी, हमारी गौ माता, अमर हुतात्मा, विनाश के मार्ग (1945 में रचित), ज्वलंत ज्योति, भोजन और स्वास्थ्य वीर जी राष्ट्र भाषा हिंदी के लिए भी संघर्षरत रहे.
- ==वज्रांग प्रभु का भीमगिरी पर्वत पर अवतरण== समर्थ गुरु रामदास महाराज की पवित्र पादुकाओ को गुरु मानकर दिव्य दीक्षा ग्रहण करने वाले श्रीमन महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज ने भक्तवत्सल भगवान श्री वज्रांग देव हनुमान प्रभु की प्रेरणा से, अपनी जन्मभूमि विराटनगर (राजस्थान) के पवित्र भीमगीरी पर्वत के पंचखंड शिखर पर उनके श्री विग्रह की प्रतिष्ठापना की तो न केवल पापाचारो से सूख गए भीमलता कुण्ड के पाषाणी तल
- विश्व में यही एकमात्र तीर्थ है जहाँ दोनों पवन सुपुत्रों की पूजा होती है, संवत १९९३ विक्रमी में पर्वत सिखर पर लघु रूप में विराजे भगवान श्री वज्रांग देव का विक्रमी संवत २००१ में एक सौ मन के विशाल श्रीविग्रह में पर्वतारोहन ऐसा अविश्वसनीय, विसमय्जनक, चमत्कारपूर्ण प्रसंग है जो स्वयं महाप्रभु की इच्छा और इनके लाडले भक्त महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के महान संकल्प के बिना संभव नहीं था.
- महात्मा रामचन्द्र वीर ने हनुमान जी जाति वानर बताई है, शरीर नहीं| उन्होंने कहा है कि सीता माता की खोज करने वाले और वेदों पाठो के ज्ञाता हनुमानजी बन्दर कैसे हो सकते है| उन्होंने लंका को जलाने के लिए वानर का रूप धरा था| २००९ के महात्मा के स्वर्गवास के बाद उनके सपुत्र आचार्य धर्मेन्द्र (विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल संत) एवं पंचखंड पीठ विराट नगर के पीठादिश्वर है.