मयासुर sentence in Hindi
pronunciation: [ meyaasur ]
Examples
- जय शंकर ने त्रिपुरों को भस्म कर असुरों का नाश कर दिया तब मयासुर ने अमृतकुंड बनाकर सभी को जीवित कर दिया था किंतु विष्णु ने उसके इस प्रयास को विफल कर दिया।
- जब भगवान विष्णु ने देखा कि दैत्य किसी प्रकार से भी पराजित नहीं हो रहे हैं तो वे गाय बनकर और ब्रह्माजी का बछड़ा बनकर मयासुर के अमृत कुण्ड का सारा अमृत पी गए।
- मयासुर के द्वारा किसी प्रकार की सेवा की आज्ञा माँगने पर श्री कृष्ण ने उससे कहा, “हे दैत्यश्रेष्ठ! तुम युधिष्ठिर की सभा हेतु ऐसे भवन का निर्माण करो जैसा कि इस पृथ्वी पर अभी तक न निर्मित हुआ हो।”
- ३ ५. २ ८ (बल्वल असुर द्वारा यादव सेना पर मयासुर की माया का प्रयोग, अनिरुद्ध द्वारा मोहनास्त्र से माया की शान्ति, बल्वल द्वारा प्रयुक्त गान्धर्वी माया के प्रभाव का वर्णन), १ ०.
- मयासुर के द्वारा किसी प्रकार की सेवा की आज्ञा माँगने पर श्री कृष्ण ने उससे कहा, ” हे दैत्यश्रेष्ठ! तुम युधिष्ठिर की सभा हेतु ऐसे भवन का निर्माण करो जैसा कि इस पृथ्वी पर अभी तक न निर्मित हुआ हो।
- अब बताइए मयासुर की लिखी कोई पुस्तक का नाम, जिसमें किलों के निर्माण, प्लानिंग और उनकी नींव कि डिजाइन के बारे में वर्णन हो! मुझे निरुत्तर जानकर उन्होंने बताया कि पुणे की लाइब्रेरी में यह पुरातन किताब उपलब्ध है जिसकी एक प्रति उनके पास भी है!
- अब बताइए मयासुर की लिखी कोई पुस्तक का नाम, जिसमें किलों के निर्माण, प्लानिंग और उनकी नींव कि डिजाइन के बारे में वर्णन हो! मुझे निरुत्तर जानकर उन्होंने बताया कि पुणे की लाइब्रेरी में यह पुरातन किताब उपलब्ध है जिसकी एक प्रति उनके पास भी है!
- सभा पर्व में मयासुर द्वारा युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण, लोकपालों की भिन्न-भिन्न सभाओं का वर्णन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, जरासन्ध का वृत्तान्त तथा उसका वध, राजसूय के लिए अर्जुन आदि चार पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, राजसूय यज्ञ, शिशुपाल वध, द्युतक्रीडा, युधिष्ठिर की द्यूत में हार और पाण्डवों का वनगमन वर्णित है।
- २ ४. २ ९ (अनुशाल्व द्वारा साम्ब के ४ अश्वों को ४, ध्वज को २, सारथि को ३, धनुष को ५ तथा रथ को ३ ० बाणों से नष्ट करना ; साम्ब द्वारा १ ०० बाणों से अनुशाल्व पर प्रहार, अनिरुद्ध द्वारा अनुशाल्व के मयासुर से प्राप्त ब्रह्मास्त्र को ब्रह्मास्त्र से शान्त करना, आग्नेयास्त्र को वारुणास्त्र तथा वायव्यास्त्र को पर्वतास्त्र से शान्त करना), १ ०.