मद्यप sentence in Hindi
pronunciation: [ medyep ]
"मद्यप" meaning in English "मद्यप" meaning in Hindi
Examples
- द बिग बुक (अल्कोहलिक्स एनोनिमस द्वारा) कहता है कि एक बार कोई शख्स मद्यप हो जाता है, वह हमेशा मद्यप (शराबी) ही रहता है, लेकिन इस संदर्भ में “मद्यप” शब्द का अर्थ क्या है, इसे परिभाषित नहीं किया गया है.
- द बिग बुक (अल्कोहलिक्स एनोनिमस द्वारा) कहता है कि एक बार कोई शख्स मद्यप हो जाता है, वह हमेशा मद्यप (शराबी) ही रहता है, लेकिन इस संदर्भ में “मद्यप” शब्द का अर्थ क्या है, इसे परिभाषित नहीं किया गया है.
- मदिर नयन की, फूल बदन की प्रेमी को ही चिर पहचान,मधुर गान का, सुरा पान का मौजी ही करता सम्मान! स्वर्गोत्सुक जो, सुरा विमुख जोक्षमा करें उनको भगवान,प्रेयसि का मुख, मदिरा का सुख प्रणयी के, मद्यप के प्राण!
- मदिर नयन की, फूल बदन की प्रेमी को ही चिर पहचान, मधुर गान का, सुरा पान का मौजी ही करता सम्मान! स्वर्गोत्सुक जो, सुरा विमुख जो क्षमा करें उनको भगवान, प्रेयसि का मुख, मदिरा का सुख प्रणयी के, मद्यप के प्राण!
- मदिर नयन की, फूल बदन की प्रेमी को ही चिर पहचान, मधुर गान का, सुरा पान का मौजी ही करता सम्मान! स्वर्गोत्सुक जो, सुरा विमुख जो क्षमा करें उनको भगवान, प्रेयसि का मुख, मदिरा का सुख प्रणयी के, मद्यप के प्राण!
- महाभारत प्रभृति ग्रन्थों में उसके जीवन-चरित्र वगैरह का बहुत सी जगह वर्णन है और उसे बहुत ही धार्मिक भी लिखा है परंतु यह तो कहीं भी नहीं आता, कि उसने मद्यप की तरह ब्राह्मणों और चमारों को एक पंक् ति में भोजन करा धर्म के नाम पर महान अधर्म किया।
- मनीष जी ने आस्ट्रेलिया के मद्यपी की बात कही है वह जब दोनों लिंगो में मद्यप का सामान प्रतिशत है तो वह सड़क पर ऐसी ओछी हरकत क्यों करेगा जब उसे डेटिंग की सुविधा है तो वह ऐसा काम क्यों करे फिर देशी शराब की बात ही कुछ और है न क्या अल्कोहल का परसेंटेज रहता है चढ़ जाता है तो मन कहा काबू में रहता है
- अर्धांगिनी की विडम्बना का भार लिए सीता सावित्री के अलौकिक तथा पवित्र आदर्श का भार अपने भेदे हुए जीर्ण शीर्ण स्त्रीत्व पर किसी प्रकार संभाल कर क्रीतदासी के समान अपने मद्यप, दुराचारी तथा पशु भी निकृष्ट स्वामी की परिचर्चा में लगी हुई और उसके दुर्व्यवहार को सह कर भी देवताओं से जन्म जन्मांतर में उसी का संग पाने का वरदान मांगने वाली पत्नी को देख कर कौन आश्चर्याभिभूत न हो उठेगा."23
- अर्धांगिनी की विडम्बना का भार लिए सीता सावित्री के अलौकिक तथा पवित्र आदर्श का भार अपने भेदे हुए जीर्ण शीर्ण स्त्रीत्व पर किसी प्रकार संभाल कर क्रीतदासी के समान अपने मद्यप, दुराचारी तथा पशु भी निकृष्ट स्वामी की परिचर्चा में लगी हुई और उसके दुर्व्यवहार को सह कर भी देवताओं से जन्म जन्मांतर में उसी का संग पाने का वरदान मांगने वाली पत्नी को देख कर कौन आश्चर्याभिभूत न हो उठेगाा।” 23
- अर्धांगिनी की विडम्बना का भार लिए सीता सावित्री के अलौकिक तथा पवित्र आदर्श का भार अपने भेदे हुए जीर्ण शीर्ण स्त्रीत्व पर किसी प्रकार संभाल कर क्रीतदासी के समान अपने मद्यप, दुराचारी तथा पशु भी निकृष्ट स्वामी की परिचर्चा में लगी हुई और उसके दुर्व्यवहार को सह कर भी देवताओं से जन्म जन्मांतर में उसी का संग पाने का वरदान मांगने वाली पत्नी को देख कर कौन आश्चर्याभिभूत न हो उठेगाा।