भागवतपुराण sentence in Hindi
pronunciation: [ bhaagavetpuraan ]
"भागवतपुराण" meaning in Hindi
Examples
- 5. असाधुदमन-अन्तिम अवतार की सबसे प्रशंसनीय विशेषता यह है कि वह दुष्टों का ही दमन करेगा, (3,4, और 5वें वैश्ष्टिय की पुष्टि के लिये देखिये भागवतपुराण 12-2-19) न कि अच्छे लोगों का।
- 1. अश्वारोहण एवं खड्गधारण-भागवतपुराण, द्वादश स्कन्ध द्वितीय अध्याय के उन्नीसवें श्लोक से कल्कि का देवताओं द्वारा दिये गये अश्व पर चढ़ना एवं तलवार द्वारा दुष्टों का संहार करना उल्लिखित है।
- भागवतपुराण तो यहां तक कहता है कि जन्म से चांडाल, लेकिन विष्णु भक्त वैष्णव उस ब्राह्मण से श्रेष्ठ हैं, जो जन्म से तो ब्राह्मण है, किंतु विष्णु भक्त या आचारवान नहीं है।
- [4] परन्तु ' हरिवंशपुराण ', ' विष्णुपुराण ' और ' भागवतपुराण ' की गोपियाँ फिर भी लौकिक रूप में ही चित्रित की गयी हैं, उनके विषय में कोई रहस्य-संकेत नहीं है।
- यथार्थतः यदि ऋग्वेद के उक्त केशी संबंधी सूक्त को, तथा भागवतपुराण में वर्णित ऋषभदेव के चरित्र को सन्मुख रखकर पढ़ा जाय, तो पुराण में वेद के सूक्त का विस्तृत भाष्य किया गया सा प्रतीत होता है।
- आज से २२ ०० साल पहले बाराहमिहिर ने २ ७ नक्षत्रों और ७ ग्रहों तथा ध्रुव तारे का को वेधने के लिये एक बडे जलाशय में स्तम्भ का निर्माण करवाया था, जिसकी चर्चा “ भागवतपुराण ” मे की गई है.
- 5. असाधुदमन-अन्तिम अवतार की सबसे प्रशंसनीय विशेषता यह है कि वह दुष्टों का ही दमन करेगा, (3,4, और 5 वें वैश्ष्टिय की पुष्टि के लिये देखिये भागवतपुराण 12-2-19) न कि अच्छे लोगों का।
- इस प्रकार पुराणों के रचनाकाल एवं चातुर्वर्ण्य व्यवस्था का वर्णन करके यह बतलाना आवश्यक समझता हूं, कि पुराणों में क्षेपक को स्थान नहीं क्योंकि भागवतपुराण में एक अध्याय में अट्ठारहों पुराणों की श्लोक संख्या दी हुई है, जिसके कारण एक भी श्लोक बढ़ाने का किसी को साहस ही नहीं।
- इस प्रकार पुराणों के रचनाकाल एवं चातुर्वर्ण्य व्यवस्था का वर्णन करके यह बतलाना आवश्यक समझता हूं, कि पुराणों में क्षेपक को स्थान नहीं क्योंकि भागवतपुराण में एक अध्याय में अट्ठारहों पुराणों की श्लोक संख्या दी हुई है, जिसके कारण एक भी श्लोक बढ़ाने का किसी को साहस ही नहीं।
- सोंचिए अगर गोपियाँ नंगी होकर नहीं नहातीं तो कृष्ण को वस्त्रहरण की मधुर-लीला करने का महान व ऐतिहासिक अवसर कैसे प्राप्त होता और कृष्ण की इस लफुअई पर कैसे भागवतपुराण के प्रवचक-व्याख्याकार वारी-वारी जाते. खैर हम्माम में सभी नंगे होते हैं और ऐसा होने में कुछ बुरा भी नहीं है यह सभी मानते हैं.