बुंदेली भाषा sentence in Hindi
pronunciation: [ bunedeli bhaasaa ]
Examples
- तब ख्यात पत्रकार पं. बनारसीदास चतुर्वेदी ने ‘ मधुकर ' पाक्षिक का एक अलग बुंदेलखंड अंक तक प्रकाशित किया था, जिससे न केवल बुंदेलखंड प्रांत की आवश्यकता जगजाहिर हुई वरन बुंदेली भाषा की सामथ्र्य भी।
- बुंदेली भाषा में निकल रहे इस अखबार की प्रसार संख्या भी एक हजार ही है, लेकिन जिले के कई मुद्दों को उठाने और ग्रामीणों को स्वास्थ्य, मजदूरी, सूचना आदि की जानकारी देने में इसने कई मिसाल कायम की है।
- मुझ्ो य्ाह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि य्ादि इन्होंने बुंदेली भाषा को छोड दिय्ाा होता और सिर्फ और सिर्फ हिंदी में साहित्य्ा की सेवा की होती, तो साहित्य्ा के आकाश में इनकी चमक कुछ अलग होती।
- ऐसा प्रतीत होता है कि चम्बल और कुमारी नदियों के खारों और बीहड़ों तथा दुर्गम भागों के कारण एवं मुरैना और शिवपुरी के घने जगलों के होने से बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रसार उस पार नहीं जा सका ।
- वहां पहुंचते ही उनका पहला सवाल यही था कि कहां के रहने वाले हो? बताया कि झांसी मैं बचपन बीता और अब वहीं का बाशिंदा भी हो गया हूं, तो बोले, बुंदेली भाषा में बात करो ना।
- ऐसा प्रतीत होता है कि चम्बल और कुमारी नदियों के खारों और बीहड़ों तथा दुर्गम भागों के कारण एवं मुरैना और शिवपुरी के घने जगलों के होने से बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रसार उस पार नहीं जा सका ।
- और संस्कृत-अपभ्रंश की काव्य-परंपरा ‘ फागु ' को बुंदेली भाषा में उतारकर जनप्रचलित फागें रचने वाले ईसुरी की लोकस्वीकार्यता भी ईसुरी और रजऊ के प्रेम-प्रसंगों के ûm ¥ § गारिकतापूर्ण काव्य के कारण नहीं, बल्कि उसमें समाहित उत्कृष्टतम् आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों के कारण है।
- उस समय भी बुंदेली भाषा और संस्कृति को जानबूझकर इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया था कि बुंदेलखंड में कोई सशक्त राजनेता नहीं था और तत्कालीन उप्र के नेता इतने दमदार थे कि बुंदेलखंड पृथक प्रांत तो दूर उसके एक हिस्से को तोड़कर उप्र में जोड़े रखने को पं.
- उस समय भी बुंदेली भाषा और संस्कृति को जानबूझकर इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया था कि बुंदेलखंड में कोई सशक्त राजनेता नहीं था और तत्कालीन उप्र के नेता इतने दमदार थे कि बुंदेलखंड पृथक प्रांत तो दूर उसके एक हिस्से को तोड़कर उप्र में जोड़े रखने को पं. नेहरू भी नहीं रोक पाए।
- पुरस्कृत होने वाले अन्य लेखकों में माधव जोशी अश्क तथा तेजपाल दर्शी तेज (काछी भाषा में अभूतपूर्व योगदान के लिए संयुक्त पुरस्कार), विश्वनाथ पाठक (अवधी भाषा तथा साहित्य), सुदामा प्रसाद प्रेमी तथा प्रेमलाल भट्ट (गढ़वाली भाषा तथा साहित्य), डॉ राम नारायण शर्मा तथा डॉ. कैलाश बेहारी द्विवेदी (बुंदेली भाषा तथा साहित्य), निरंजन चकमा (चकमा भाषा तथा साहित्य) हैं।