बलदेव वंशी sentence in Hindi
pronunciation: [ beldev venshi ]
Examples
- गंगा प्रसाद विमल, जगदीश चतुर्वेदी, बलदेव वंशी की मुझे स्पष्ट याद है और कुमार विकल की भी जो अक्सर जगदीश के गुट में ही अपनी हंगामी उपस्थिति बनाये रखता।
- (२) अगर शहर में इतनी विविधता है (बलदेव वंशी द्वारा संपादित पुस्तक के संदर्भ को लेकर उन्होंने यह बात कही) तो क्या सिनेमा इस विविधता को दिखा पाता है?
- इसके अलावा प्रोफेसर चौथीराम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान, प्रोफेसर सोम ठाकुर को हिन्दी गौरव सम्मान, डॉक्टर बलदेव वंशी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान तथा चित्रा मुदगल को अवंतीबाई सम्मान प्रदान किया गया।
- इसके अलावा चौथीराम यादव को लोहिया साहित्य सम्मान, सोम ठाकुर को हिन्दी गौरव सम्मान, मन्नू भंडारी को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, बलदेव वंशी को दीनदयाल उपाध्याय सम्मान तथा चित्रा मुद्गल को अवन्ती बाई सम्मान से नवाजा जाएगा।
- उस बार के पुरस्कार के चयन के लिए जो आधार सूची बनी थी उसमें रामदरश मिश्र, विष्णु नागर, नासिरा शर्मा, नीरजा माधव, शंभु बादल, मन्नू भंडारी और बलदेव वंशी के नाम थे ।
- इस बार के पुरस्कार के चयन के लिए जो आधार सूची बनी थी उसमें रामदरश मिश्र, विष्णु नागर, नासिरा शर्मा, नीरजा माधव, शंभु बादल, मन्नू भंडारी और बलदेव वंशी के नाम थे ।
- देश के स्वाभिमान व लोकशाही की रक्षा के लिए समर्पित समाजसेवी देवसिंह रावत, साहित्यकार डा बलदेव वंशी, ज्योति संग व समाजसेवी मोहनसिंह रावत ने सर्वोदयी कार्यकत्र्ताओं को उनके इस आंदोलन को धन्यवाद व समर्थन देते हुए राष्ट्र निर्माण पार्टी के कार्यक्रम में सम्मलित हुए।
- ज्योत्सना मिलन, राॅबिन शाॅ पुष्प, बलदेव वंशी, प्रकाश वैश्य, बलवीर सिंह ‘ करूण ', प्रेमशंकर रघुवंशी, राजेन्द्र मिश्र एवं सूर्यभानु गुप्त की कविताएं विषय से हटकर होते हुए भी देश के सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन व उसके दूरगामी प्रभाव को व्यक्त करती है।
- लेकिन उसे अपने बदसूरत पैरों पर शर्म भी आती है और उन्हें देख वह रोता भी है।............ मोर भी अपने दिव्य पंखों को फैला कर चंद्राकार दिशाओं को समेट अपने चारों ओर लपेट देश और काल को नचाता मनभर नाचता है पर अपने पंजों को देख होता है बेहाल......... डॉ. बलदेव वंशी की कविता का अंश
- बलदेव वंशी जी (६० से अधिक पुस्तकें) की कविता' पत्थर भी बोलते हैं ' ने इतनी वाहवाही लूटी कि जी चाहा एक दो फरमाइश और रख दें पर यहाँ स्वीकृत कविताओं का ही पाठ था.....बाजपेयी जी की रोमानी आवाज़ में नज़्म सुनने की इच्छा भी पूरी हो गई.....उर्दू के कवि बशर नवाज़ जी नहीं पहुँच पाए थे उनकी नज़्म का पाठ स्वयं बाजपेयी जी ने किया......