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फूल पत्ते sentence in Hindi

pronunciation: [ ful pett ]

Examples

  1. तो पाएंगे कि पाताल में गयी जड़ें उसे नजर नहीं आयेंगी, जहाँ कभी गुठली बोई गयी थी, शायद किसी गरीब किसान द्वारा...फिर उपर धीरे-धीरे नजर डाले तो मोटा तना दिखाई देगा, और फिर फूल पत्ते इत्यादि.
  2. इंतज़ार कर कर के आँखें कब की निचुर गयी, ह्रदय की धमनी धरक धरक कर देखो सिकुर गयी, ना चिठिया ना कोई पाती, ना ही कोई ख़बर है, फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
  3. तुम बिन मेरे जीवन में सब कुछ है मुरझाया सा, रात अगर बेचैन रही तो दिन भी है बौराया सा, भूल गया हूँ अपनी मंजिल,खोया हुआ डगर है, फूल फूल पत्ते पत्ते से पूछे सजन किधर है।
  4. अगर आप दिल्ली की किसी मिडिल क्लास कालोनी में रहते है या फिर आपके मकान की कीमत 60 लाख से कम है तो आपकी गलियों में फूल पत्ते उपजतें हो ना हो पर शोर जरूर उपजता होगा.
  5. हर सुबह ब्राह्मण moohurt में उठा कर स्नान कर रामायण का पाठ और आरती करना, फिर बगीचे में 5-10 मिनट फूल पत्ते से पक्षियों से बातें करना, उनकी भक्ति भाव तथा प्रकृति प्रेम को darshata है.
  6. नीली दीवार पर किस रंग के चित्र सुंदर जान पडते हैं, हरे कुशन पर किस प्रकार के पक्षी अच्छे लगते हैं, सफेद पर्दे के कोने में किस बनावट के फूल पत्ते खिलेंगे आदि के विषय में चीनी उतनी ही जानकारी रखता था, जितनी किसी अच्छे कलाकार से मिलेगी।
  7. बगीचे में जो पेड-पौधे जहां हैं, वहीं के वहीं, फूल पत्ते ज्यों के त्यों बने रहें, उनकी कांट-छांट न की जाये, उनको संवारा न जाये, जो पौधे रोग ग्रस्त हैं, सूखने को हैं, उन्हें निकालकर नये पौधे न लगाये जायें तो बगीचा, बगीचा न रहेगा, जंगल बन जायेगा।
  8. लड़की, जैसे गुलाब का फूल छोटी सी प्यारी सी गुडिया घर भर कि आंख का तारा उछलती, कूदती खेलती, तो घर भर खेलता उसके साथ जब उदास हो, उदास होती है बगिया, पेड़ फूल पत्ते, चिडियाँ, तितली, कीड़े मकोड़े, सब खूब बड़ी बगिया, जिसमे खिले किसिम किसिम के फूल लाल पीले गुलाबी....
  9. माला के मोती की तरह इस शब्दों की माला में भी हर रचना अपने आप में मुक्कमल है |हर मोती को यहाँ इस समीक्षा में समेटना बहुत ही कठिन कार्य है पर यह तय है कि रश्मि प्रभा जी ने जो यह शब्दों के अरण्य में शब्दों को पिरोया है वह बहुत ही हरा भरा है जिस में हर रंग के फूल पत्ते समेटे हुए हैं
  10. हरियाली, पेड़, फूल पत्ते, पहाड़, चटटाने, नदी, आकाश, बादल, सूरज, उजाला, छाया, विम्ब, प्रतिविम्ब, ओस, आदि इत्यादी प्रकृति की खूबसूरती से भरे नजारे इन भागों में भरे पड़े हैं जिन्हे अशोक मेहता के कैमरे ने प्रकाश, छाया और रंगों के मिश्रण के द्वारा गुलज़ार के निर्देशन की छत्रछाया में इंद्रधनुषी खूबसूरती के साथ दर्शाया है।
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