नामदेव ढसाल sentence in Hindi
pronunciation: [ naamedev dhesaal ]
Examples
- हमारे अपने देश में काज़ी नज़रूल, निराला,मुक्तिबोध,शंख घोष,वरवर राव,धूमिल,पाश,नारायण सुर्वे या नामदेव ढसाल कविता से क्या काम लेते रहे यह भी श्रीयुत राजेन्द्र यादव की चिन्ता का विषय नहीं है.अब ऐसे तथाकथित 'कथा-नायक 'को उठा कर किस हिन्द महासागर में फेंक दिया जाये?
- ‘ विष्णु खरे बताएं ' महज शैली का अंग था, भाव यह था कि खरे जब नामदेव ढसाल या इकबाल का तर्क देकर मानते हैं कि साहित्य अनुभव से पैदा होता है, विचारधारा से नहीं, तो इस बात को उन ‘
- मैं निर्लज्ज, बेपशेमान धृष्टता से कह चुका हूँ कि मेरे लिए आज भारत में ठाकुर से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक नामदेव ढसाल जैसा युगप्रवर्तक दलित है, जिसकी कविता और संदिग्ध, बल्कि आपत्तिजनक, राजनीतिक चाल-चलन एक तीखा वाद-विवाद निर्मित तो करते हैं.
- उन्होंने कुछ समकालीन भारतीय लेखकों की एक सूची बनायी है जिसमें-गुरदयाल सिंह (पंजाबी), सीताकांत महापात्र (ओडिया), यू.आर. अनंतमूर्ति (कन्नड़), के. सच्चिदानंदन (मलयालम), गुल मोहम्मद शेख (गुजराती), नामदेव ढसाल (मराठी), महाश्वेता देवी (बांग्ला), सुनील गंगोपाध्याय (बांग्ला), सीतांशु यशचंद्र्र (गुजराती) और भालचंद्र नेमाड़े (मराठी) आदि शामिल हैं।
- मुख्यत: इंटरनेट पर चली उस बहस का ब्योरा, जिसमें युवा लेखकों और आम पाठकों ने मंगलेश डबराल के एक दक्षिणपंथी विचार-मंच पर जाने और विष्णु खरे के हाथों संघ और शिवसेना समर्थक कवि नामदेव ढसाल की किताब का लोकार्पण किए जाने की बुरी तरह निंदा की थी।
- खुद को श्रेष् ठ और बाकियों को कमतर बताने वाले विष् णु खरे ने नामदेव ढसाल के संदर्भ में कुछ बातें बतायी हैं, जिनका पाठ और प्रचार इसलिए भी जरूरी है, क् योंकि कवि को सिर्फ उसकी उपस्थिति और उसके वर्तमान के बाड़े में ही नहीं देखना चाहि ए.
- मैंने दो शर्तें ज़रूर रखी थीं-पुरस्कार-समारोह में किसी भी विचारधारा का कोई भी राजनीतिक व्यक्ति मंच पर न बैठे और पुरस्कार मुझे नामदेव ढसाल (शीर्ष मराठी दलित कवि, यद्यपि शिव-सेना और आरएसएस से सम्बद्ध) या चंद्रकांत पाटील (शीर्ष मराठी कवि-अनुवादक-समीक्षक) के हाथों दिया जा ए.
- ज्ञान अगर इसी को कहते हैं तो साहब को यही मुबारक पर अव्वल तो यह कि संघ के सदस्य और कवि नामदेव ढसाल की तारीफ में जो इस लेखक ने कसीदे पढ़े हैं, क्यों न उस पर भी दो दो गाल बात हो. हद हो गई है इन साहब की.
- मित्रों, आज शाम बॉम्बे हास्पिटल के आईसियू में पड़े विश्व कवि नामदेव ढसाल से मिलने का तीसरा प्रयास किया.उनसे मिलना विजिटरों के लिए प्राय पूरी तरह निषेध था.यही कारण है जब सुप्रसिद्ध पत्रकार सुधीन्द्र कुलकर्णी ने उन्हें देखने के लिए मेरे साथ चलने की इच्छा व्यक्त की,मेरे साथ के पैंथर कार्यकर्ताओं ने मना कर दिया.
- पिछले महीने छपी मेरी टिप्पणी में क्या था? मुख्यत: इंटरनेट पर चली उस बहस का ब्योरा, जिसमें युवा लेखकों और आम पाठकों ने मंगलेश डबराल के एक दक्षिणपंथी विचार-मंच पर जाने और विष्णु खरे के हाथों संघ और शिवसेना समर्थक कवि नामदेव ढसाल की किताब का लोकार्पण किए जाने की बुरी तरह निंदा की थी।