देव वर्मन sentence in Hindi
pronunciation: [ dev vermen ]
Examples
- बाद मे सचिन देव वर्मन की बीमारी के कारण फिल्म आराधना में उनके पुत्र आरडी बर्मन ने संगीत दिया-मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू और रूप तेरा मस्ताना-गाना किशोर कुमार ने गाया, जो बेहद पसंद किया गया।
- राहुल देव वर्मन:-आशा भोसले राहुल देव वर्मन जी से उस समय पहली बार मिली जब वह दो बच्चों की माँ थी और संगीतकार राहुल देव वर्मन (पंचम) की साझेदारी मे फिल्म तीसरी मंजिल (1966) मे पहली बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाई।
- राहुल देव वर्मन:-आशा भोसले राहुल देव वर्मन जी से उस समय पहली बार मिली जब वह दो बच्चों की माँ थी और संगीतकार राहुल देव वर्मन (पंचम) की साझेदारी मे फिल्म तीसरी मंजिल (1966) मे पहली बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाई।
- राहुल देव वर्मन:-आशा भोसले राहुल देव वर्मन जी से उस समय पहली बार मिली जब वह दो बच्चों की माँ थी और संगीतकार राहुल देव वर्मन (पंचम) की साझेदारी मे फिल्म तीसरी मंजिल (1966) मे पहली बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाई।
- वर्ष 1969 में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये किशोर गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बने लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के आरंभ के समय इसके संगीतकार सचिन देव वर्मन चाहते थे इसके गाने किसी एक गायक से न गवाकर दो गायकों से गवाएं जाएं।
- पंचम पंचम यानी राहुल देव वर्मन ने सत्तर के दशक में भारतीय फिल्म संगीत को एक नया आयाम दिया. इस दौर में गानों में और अधिक ताजगी आ गयी.प्रयोगधर्मी पंचम को मेहमूद ने अपनी पहली फिल्म ‘छोटे नवाब' में अवसर दिया और पहले गीत ‘घर आजा घिर आए बदरा' के लिए लता से प्रार्थना की.
- आर डी हिन्दुस्तानी के साथ पाश्चात्य संगीत का भी मिश्रण करते थे, जो सचिन देव वर्मन साहब को रास नहीं आता था, इस बात पर एक बार मशहूर गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी साहब ने इन्हें समझाया तो पंचम बोले: “देखिये अंकल,बाबा बहुत बड़े म्यूजिक डायरेक्टर हैं,उनसे मैने बहुत कुछ सीखा है और सीखूँगा,लेकिन मैं उनकी राह पर नहीं चलूँगा ।
- शोखियों में घोला जाए थोड़ा सा शबाब उस में फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब होगा यूं नशा जो तैयार वो प्यार है प्यार! जैसे मादक और दाहक गीत लिखने वाले नीरज और उस को संगीत देने वाले सचिन देव वर्मन को जिस को याद करना हो करे अब तो डेल्ही बेली का गाना सुन रहे हैं लोग भाग बोस डी के।
- आर डी हिन्दुस्तानी के साथ पाश्चात्य संगीत का भी मिश्रण करते थे, जो सचिन देव वर्मन साहब को रास नहीं आता था, इस बात पर एक बार मशहूर गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी साहब ने इन्हें समझाया तो पंचम बोले: ” देखिये अंकल, बाबा बहुत बड़े म्यूजिक डायरेक्टर हैं, उनसे मैने बहुत कुछ सीखा है और सीखूँगा, लेकिन मैं उनकी राह पर नहीं चलूँगा ।
- में बनी यह महान फिल्म विजय आनंद द्वारा निर्देशित थी| यहफिल्म आर. के. नारायण की प्रसिद्ध उपन्यास 'द गाइड” पर आधारित थी| इस फिल्म के कलाकारों का अभिनय, विजय आनंद की पटकथा एवं निर्देशन और सचिन देव वर्मन का संगीत-ये तीनों पक्ष इस फिल्म को मिल का पत्थर बनाने में मुख्य वजह बने | यही कारण है कि रिलीज़ के 42 वर्षों बाद भी यह फिल्म 2007 के कान्स फिल्म समारोह में दिखाई गई|