दसमी sentence in Hindi
pronunciation: [ desmi ]
"दसमी" meaning in Hindi
Examples
- चाहे वह ‘ खेल गीत ' हो या ‘ बिहाव गीत ' अथवा ‘ कहनी-कन्तली ' हो या कि ‘ तिजा जगार ' और ‘ लछमी जगार ' ; दसमी बाई को सभी तरह के गायन में महारत हासिल है।
- नाकोड़ा पार्श्वनाथ-राजस्थान में बालोतरा के पास स्थित श्री पार्श्वनाथजी का भव्य जिनालय हे यहा के अधिस्ठायक श्री भेरवनाथजी का परचा पुरे विश्व के जैनियों में जारी हे | यहाँ पोस वदी दसमी के दिन मेला लगता हे.
- प्रतिवर्ष माघ शुक्ल तेरस और आश्विन शुक्ल दसमी (दशहरा) को शिवरीनारायण के महंत इस गांधी चौरा में बैठकर पूजा-अर्चना करते हैं और प्रतीकात्मक रूप से यह प्रदर्शित करते हैं कि वैष्णव सम्प्रदाय तांत्रिकों के प्रभाव से बहुत उपर है।
- ज्ञान को पवित्र माना गया है, इसीलियें साल में एक मर्तबा कहीं विजय दसमी (दुशेहरा) के दिन तो कहीं सरस्वती पूजा दिवस पर तो कहीं अयोध्या दिवस पर पुस्तकें, वाहन तथा संगीत वाद्य पूजे जातां हैं.
- लोगों ने पूछा कि सती माता तुम्हारी पूजा कब करें तो पेमल ने बताया कि-” भादवा सुदी नवमी की रात्रि को तेजाजी धाम पर जागरण करना और दसमी को तेजाजी के धाम पर उनकी देवली को धौक लगाना, कच्चे दूध का भोग लगाना.
- लोगों ने पूछा कि सती माता तुम्हारी पूजा कब करें तो पेमल ने बताया कि-” भादवा सुदी नवमी की रात्रि को तेजाजी धाम पर जागरण करना और दसमी को तेजाजी के धाम पर उनकी देवली को धौक लगाना, कच्चे दूध का भोग लगाना.
- पूर्वाषाढ अश्विनी हस्त चित्रा स्वाति श्रवण धनिष्ठा शतभिषा ज्येष्ठा पूर्वाफ़ाल्गुनी मृगशिरा पुष्य रेवती और तीनो उत्तरा नक्षत्र द्वितीया तृतीया पंचमी दसमी एकादसी तथा द्वादसी तिथियां, रवि शुक्र गुरु और सोमवार दिन शुक्ल पक्ष सिंह धनु वृष कन्या और मिथुन राशियां उत्तरायण में सूर्य के समय में उपनयन यानी यज्ञोपवीत यानी जनेऊ संस्कार शुभ होता है।
- आज दिनांक १९ दिसंबर २०११ सोमवार | पोस मास कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि दोपहर ३-१५ बजे तक फिर दसमी तिथि शुरू | हस्त नक्षत्र शाम ७ बजे तक फिर चित्र नक्षत्र शुरू | सोभाग्य योग दोपहर १-५४ बजेतक फिर शोभन योग शुरू | गर करण दोपहर ३-१५ बजे तक फिर वनिजकरण शुरू | आज का राहुकाल सुबह ७-३० बजे से ९-०० बजे तक राहेगा |
- सरगीपालपारा, कोंडागाँव की गुरुमायँ सुकदई कोराम, गागरी कोराम तथा पलारी की गुरुमायँ कमला बघेल और कुम्हारापारा, कोंडागाँव की गुरुमायँ सुकली के गाये लछमी जगार की कथा में साम्य है जबकि बम्हनी की गुरुमायँ आसमती, मुलमुला की गुरुमायँ मंदनी पटेल, खोरखोसा की गुरुमायें रैमती, सरसती, उसाबती, केलमनी और जयमनी तथा दसमी के गाये लछमी जगार की कथा एकदम भिन्न किन्तु सभी गाथाओं में लछमी यानी लक्ष्मी की ही कथा वर्णित होती है।
- प्रतिपदा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी षष्ठी सप्तमी अष्टमी नवमी दसमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी पूर्णिमा यह शुक्ल पक्ष की तिथियों के नाम है, इन्हे क्रम से एक से पंद्रह अंको के रूप में लिखा जाता है, कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से चतुर्दशी तक की तिथियों को समान नामो से जाना जाता है, केवल अन्तिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है और उसे तीस के अंक से प्रदर्शित किया जाता है।