तीसरी क़सम sentence in Hindi
pronunciation: [ tiseri kesem ]
Examples
- शैलेन्द्र तो अरविन्द जी के प्रिय गीतकार और मित्र थे ही, तीसरी क़सम के बनने, असफल होने और शैलेन्द्र के उस सदमे से असमय गुज़र जाने की जितनी हृदयछू कहानियाँ माधुरी ने सुनाईं, शायद किसी के वश की बात नहीं थी।
- परती परिकथा, मैला आंचल और कलंक मुक्ति जैसे उपन्यास, तीसरी क़सम उर्फ़ मारे गए गुलफ़ाम और एक अकहानी का सुपात्र जैसी अमर कहानियों के रचयिता रेणु को मैं दुनिया के किसी भी कालजयी साहित्यकार से रत्ती भर कम नहीं मानता.
- बजट के अभाव में कामचलाऊ शूटिंग कर के, संपादन राज कपूर ने अपने आप किया आर. के. स् टूडियो में (कौन सा टुकड़ा कहाँ का है, पता नहीं चलता था) जैसे तैसे तीसरी क़सम को रूप दिया गया.
- मृणाल सेन, मणि कौल, कुमार शाहनी, दो नोँ बासु (भट्टाचार्य, चटर्जी), बाबूराम इशारा, अरुण कौल, निर्माता के रूप मेँ शै लेँ द्र (तीसरी क़सम), ख़्वाजा अहमद अब्बास आदि अपनी अपनी तरह फ़िल्म बना रहे थे.
- जो लोग तीसरी क़सम में बासु के साथ सहायक थे-बासु चटर्जी, बाबूराम इशारा-तथा यूनिट के अन् य सदस् य, वे लोग कहते रहते थे कि बासु को अपने काम पर अधिकार नहीं था, अक़सर वह बिना तैयारी के आते थे.
- इस शृंखला की शुरुआत हम कर रहे हैं जीवन दर्शन पर आधारित फ़िल्म ' तीसरी क़सम ' के एक मशहूर गीत से-“ सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है, न हाथी है न घोड़ा है, वहाँ पैदल ही जाना है ” ।
- प्रश्न: अच्छा मनोज साहब, मैं आपसे यह सवाल करना चाहूँगा कि फ़िल्म ' तीसरी क़सम ' बाबा (शैलेन्द्र) की ज़िंदगी में एक अजीब मोड़ लेकर आयी और यही फ़िल्म कारण बनी उनके इस दुनिया से जाने का, बल्कि मैने यहाँ तक पढ़ा है कि जब यह फ़िल्म ' रिलीज़ ' हुई तो उसके ' प्रिमीयर ' मे भी बाबा नहीं गये थे।
- दोस्तों, ३ ० अगस्त २ ०० ६ को शैलेन्द्र के जन्मदिवस के उपलक्ष पर दुबई स्थित ' १ ० ४. ४ आवाज़ FM ' रेडियो चैनल पर शैलेन्द्र के बेटे मनोज शैलेन्द्र से एक मुलाक़ात प्रसारित हुआ था, जिसका एक अंश मैं यहाँ पर प्रस्तुत करना चाहता हूँ, जिसे पढ़कर आप को शैलेन्द्र, राज कपूर और ' तीसरी क़सम ' से जुड़ी कई बातें जानने को मिलेंगी।
- बरसात में हम से मिले तुम “ से लेकर ” जीना यहाँ मरना यहाँ ” तक फ़िल्म जगत को केवल १ ७ सालों में जो अमर गानें उन्होने दिये हैं, वो इतने कम अरसे में शायद ही किसी और गीतकार ने दिये होंगे! दोस्तों, आप को शायद याद हो, ' राज कपूर विशेष ' के दौरान ' तीसरी क़सम ' के गाने के साथ हम ने आप को दुबई के १ ० ४.
- कभी सोचता हूँ कि ऐसी फ़िल्मों को खोज कर उन अंशों को यदि कुशल संपादन के साथ प्रस्तुत किया जाय तो कितनी रोचक डॉक्यूमेण्ट्री बन सकेगी! अब काफ़ी ऊल-जलूल तो लिखा, पर लिंक कहाँ से लाऊँ सारी शर्तों को आज ही तोड़ने के लिए? आइडिया-ये रहा लिंक भी-मेरी आज की पसंदीदा पोस्ट का http://safedghar.blogspot.com/2010/06/blog-post_06.html जब आपकी प्रोफ़ाइल तक पहुँचे, तब तक अपनी प्रोफ़ाइल से “ तीसरी क़सम ” का नाम मिटा चुके थे हम।