जड़वाद sentence in Hindi
pronunciation: [ jedaad ]
"जड़वाद" meaning in English "जड़वाद" meaning in Hindi
Examples
- असल में ऐसा ही लग जाता है, मानो सयानेपन के भंडार ईश्वर ने ही भारतवर्ष को इस प्रकार की प्रगति से रोक लिया है, ताकि जड़वाद का हमला सहने का अपना ईश्वर निर्मित कार्य वह सफल कर सके।
- मार्क्स के अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था में बौद्धिक जड़वाद की स्थिति उस समय उत्पन्न होती है, जब सामाजिक आधार पर बंटे श्रमिकों को केंद्रीय सत्ता के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इस बीच उनके उत्पादन के संसाधन लगातार घटते चले जाते हैं.
- इस प्रकार श्री अरविंद ने केवल मायावाद का ही नहीं अपितु जड़ और चेतन के द्ववैतावाद और शुद्ध जड़वाद को भी अस्वीकार किया और सिद्ध करने का प्रयास किया की जगत स्वभावत: आध्यात्मिक है ब्रह्म, जिसका स्वरूप सत्, चित् और आनंद है सर्वत्र विद्यमान है।
- उन्होंने उपस्थित बुद्धिजीवियों तथा साहित्य व संस्कृतिप्रेमियों का आह्वान किया कि वे यदि आने वाली पीढ़ियों को सचमुच सुन्दर भविष्य देना चाहते हैं तो उसे मनुष्य बनने की शिक्षा दें-ऐसा मनुष्य जो जड़वाद का विरोध कर सके और जिसमें देवत्व की संभावनाएँ निहित हों ।
- उन्होंने उपस्थित बुद्धिजीवियों तथा साहित्य व संस्कृतिप्रेमियों का आह्वान किया कि वे यदि आने वाली पीढ़ियों को सचमुच सुन्दर भविष्य देना चाहते हैं तो उसे मनुष्य बनने की शिक्षा दें-ऐसा मनुष्य जो जड़वाद का विरोध कर सके और जिसमें देवत्व की संभावनाएँ निहित हों ।
- इस प्रकार श्री अरविंद ने केवल मायावाद का ही नहीं अपितु जड़ और चेतन के द्ववैतावाद और शुद्ध जड़वाद को भी अस्वीकार किया और सिद्ध करने का प्रयास किया की जगत स्वभावत: आध्यात्मिक है ब्रह्म, जिसका स्वरूप सत्, चित् और आनंद है सर्वत्र विद्यमान है।
- पर सबसे अच् छी बात है कि इसी समाज में से कुछ ऐसे लोग भी उठ खड़े होते हैं जिन् हें इस बात का भान हो चुका है कि यदि हमें उन् नति करनी है तो ये जड़वाद तोड़ना होगा और इन् हीं के कारण इस गरीब समाज ने आशा का दामन नहीं छोड़ा है।
- विशेष अतिथि प्रो. एम. वेकटेश्वर ने अपने सम्बोधन में भारत में जीवनमूल्य केन्द्रित एक और नवजागरण की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि ईमानदारी, निष्ठा, आस्था, कर्तव्यबोध तथा शिष्टाचार जैसे मूल्यों की आज पुन: नए सिरे से व्याख्या करने की आवश्यकता है ताकि अर्थकेन्द्रित जड़वाद के आक्रमण का सामना किया जा सके।
- मानवीय भावना, सामाजिक दायित्वबोध, कर्तव्यतत्परता, देशात्मबोध अपने समाजजीवन में प्रभावी हो ऐसा उपदेश शिक्षा संस्थाओं में जाकर हम देते हैं और इन मूल्यों को संस्कार देनेवाली सारी बातों को निकाल बाहर कर ” पैसा, अधिक पैसा और अधिक पैसा “ किसी भी मार्ग से कमाने में ही जीवन की सफलता मानकर, निपट स्वार्थ, भोग तथा जड़वाद सिखानेवाला पाठ्यक्रम व पुस्तकें लागू करते है।