छेदना sentence in Hindi
pronunciation: [ chhedenaa ]
"छेदना" meaning in English "छेदना" meaning in Hindi
Examples
- “ कर्ण वेधन ” यानी “ कान छेदना ” यह संस्कार इसलिए किया जाता है कि ताकि संतान स्वस्थ रहे (This Sanskar is Done For Child Health), उन्हें रोग और व्याधि परेशान न करें।
- तथा कुछ ऐसे प्रमाण वर्णित हैं जो बाली लटकाने के लिए बच्ची के कान का छेदना वैध ठहराते हैं, अतः उसी पर अन्य जगहों को भी क़ियास किया जायेगा यदि वे पिछले निषेद्धों पर आधारित नहीं है।
- शल्य के क्षेत्र में चीनियों की विशिष्ट खोज दर्द केक्षेत्र या सूजन में दर्द कम करने के लिए धमनी में पतली सुइयां छेदना यासख्त चांदी या सोने को एक इंच या ज्यादा दूरी तक डालना (और उसे थोड़ा साचुभाना).
- डॉक्टर बीच में ही रोककर बोल उठे, चड़क पूजा के समय पीठ छेदना, संन्यासियों की तलवार पर उछल-कूद मचाना, डकैती, ठगी, विद्रोहियों का उपद्रव, गोड़ा और खासियों की आषाढ़ में नरबलि और भी बहुत से काम हैं जिनकी याद नहीं आ रही भारती।
- शिष्योंको मंत्रशक्तिका महत्त्व समझानेके लिए गुरुदेवजीने एक अभिमंत्रित बाण वटवृक्षकी पत्तियोंपर छोडना और वह बाण प्रत्येक पत्तीको छेदना: गुर्वाज्ञाके कारण अर्जुन धोती लानेके लिए आश्रम गया, उस समय गुरु द्रोणाचार्यजीने कुछ शिष्योंसे कहा, ‘ गदा एवं धनुष्यमें शक्ति होती है ; परंतु मंत्रमें उससे अधिक शक्ति होती है ।
- जाति भेद, स्त्री उपेक्षा, खर्चीली शादियाँ, दहेज, मृत्युभोज, पशु-बलि, भूत-पलीत, टोना-टोटका का अन्धविश्वास, शरीर को छेदना या गोदना, जेवरों का शौक, भद्दे गीत गाना, भिक्षा माँगना, थाली में जूठन छोड़ना, गाली-गलौज की असभ्यता, बाल-विवाह, अनमेल विवाह, श्रम से जी चुराना आदि अनेक सामाजिक कुरीतियाँ हमारे समाज में प्रचलित हैं।
- इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए सगाई (बरीक्षा या छेदना), तिलक, बन्ना-बन्नी, हल्दी, नकटा (हँसी-मज़ाक से भरपूर छेड़-छाड़ के गीत), गारी, (प्रेमपूर्ण गालियां-जो कन्या पक्ष की महिलाएं विवाह के दूसरे दिन कलेवा / भात के समय वर पक्ष के लोगों को लक्ष्य करके, नाम ले-लेकर गाती हैं..
- किसी वंश में जन्म लेने के कारण किसी को नीच मानना, स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा अधिकारिणी समझना, विवाहों में उन्मादी की तरह पैसे की होली फूँकना, दहेज, मृत्युभोज, देवताओं के नाम पर पर पशुबलि, भूत-पलीत, टोना-टोटका, अन्धविश्वास, शरीर को छेदना या गोदना, गाली-गलौज की असभ्यता, बाल-विवाह, अनमेल विवाह, श्रम का तिरस्कार आदि अनेक सामाजिक कुरीतियाँ हमारे समाज में प्रचलित हैं ।