गीतगोविंद sentence in Hindi
pronunciation: [ gaitegaovined ]
Examples
- भैरव, ध्रुपद गायकी, लोक संगीत, जयदेवकृत गीतगोविंद, नंदिकेश्वर कृत अभिनय दर्पण ऐसे लेख हैं जो संगीत की बारीकियों को समझने के लिए प्रेरित करते हैं।
- परिणामतः चित्रकार ने गीतगोविंद की अनेक टीकाओं और व्याख्याओं का अध्ययन-मनन किया और प्रत्येक संस्कृत श् लोक का रोमन और तेलुगु में लिप्यंतरण करते हुए अंग्रेज़ी और तेलुगु में विशद व्याख्या की।
- इसी रूप में यह सामग्री बड़े आकार की सात सौ से अधिक पृष् ठों की त्रिभाषी कृति के रूप में प्रकाशित हुई है-‘ श्री जयदेव्स श्री गीतगोविंद काव्यम् ' ।
- गीतगोविंद की लोकप्रियता को देखते हुए अन्य कवियों न राधा कृष्ण के प्रेम कि कविताये रच दी और श्री कृष्ण और राधा प्रेमी प्रेमिका के रूप में भारतीय जनमानस में अवतरित हुए ।
- ‘ गीतगोविंद ' संस्कृत की है तो ‘ कनुप्रिया ' हिंदी की. हिंदी के ही कवि नरेद्र शर्मा ने अनेक गीत प्रेम और अभिसार को केंद्र बनाकर लिखे हैं, जिनकी सराहना होती है.
- विनयपत्रिका के प्रारंभिक स्त्रोतों में जो संस्कृत पदविन्यास है उसमें गीतगोविंद के पदविन्यास से इस बात की विशेषता है कि वह विषम है और रस के अनुकूल कहीं कोमल और कहीं कहीं कर्कश देखने में आता है।
- जिन प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों का भिन्न रूपोंमें बार-बार चित्रण किया गया था उनमें से कुछ हैं--महाकवि जयदेव द्वाराविरचित गीतगोविंद ओरछा के महाकवि केशव दास (१५५५-१६१७) की रसियाप्रिया; अमरू का अमरूशतक; बिहारी सतसई (लगभग १६०३-१६६३) जिसमें नायिका-भेद कावर्णन है.
- यही कारण है कि डॉ. टी. साई कृष् णा के गीतगोविंद के चित्र प्रदर्शनों की अपार सफलता के बावजूद डिजिटल फार्म में बहुरंगी चित्रों के संकलन के रूप में इसके प्रकाशन के स्वप्न को साकार होने में लगभग तीस वर्ष का समय लगा।
- गीतगोविंद का परिशीलन करते हुए चित्रकार ने जब पहले पहल यह महसूस किया कि इसके पाठ में दृश् यमानता की अपार संभावनाएँ हैं तो उन्होंने आरंभ में 185 चित्र तैयार किए जिनकी हर ओर से प्रशंसा हुई और वास्तु योगी गौरु तिरुपति रेड्डी ने इन्हें मूल रचना के साथ प्रकाशित करने की प्रेरणा दी।
- प्रसंग ३-एक दिन एक माली कि बेटी बैगन के बारे में बैगन तोडती हुई श्री गीतगोविंद के पंचम सर्ग की कथा का एक पद गा रही थी-“ना कुरु नितम्बिनि गमन विलम्बनमनुसर तं ह्र्दयेशम् || धीर समीरे यमुना तीरे वसति वने वनमाली “ अर्थ-“दुति श्री राधिका जी से कहती है कि हे नितम्बिनि!