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कार्तिक शुक्ल द्वितीया sentence in Hindi

pronunciation: [ kaaretik shukel devitiyaa ]

Examples

  1. इस पर यमुना ने उनसे प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपने घर आने का तथा उन समस्त भाइयों का, जो कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपनी बहन के घर भोजन कर उन्हें भेंट दें, कल्याण करने का वचन ले लिया।
  2. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (धनतेरस) से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भैयादूज) तक पांच दिन चलने वाला दीपावली पर्व धन एवं समृद्धि प्राप्ति, व्यापार वृद्धि ऋण मुक्ति आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मनाया जाता है।
  3. इस पर यमुना ने उनसे प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपने घर आने का तथा उन समस्त भाइयों का, जो कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपनी बहन के घर भोजन कर उन्हें भेंट दें, कल्याण करने का वचन ले लिया।
  4. इस पर यमुना ने उनसे प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपने घर आने का तथा उन समस्त भाइयों का, जो कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अपनी बहन के घर भोजन कर उन्हें भेंट दें, कल्याण करने का वचन ले लिया।
  5. इसका महत्व इस प्रकार है-धर्म ग्रंथों के अनुनसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके उसे भोजन कराया था, इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
  6. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यहां एक मेला भरता है जिसमें अनेक व्यक्ति देवी की मनौती मनाने के लिए आते हैं, जिसकी कामना पूर्ण हो जाती है, वे देवी को प्रसाद चढ़ाने, ब्राह्मण को भोजन कराने और देवी की आराधना में बोये हुए यवांकुर चढ़ाने के लिए आते हैं।
  7. लहुलुहान राजा यमराज के दरबार में जब पहुंचा तब चित्रगुप्त ने राजा के कर्मों की पुस्तिका खोली और कहा कि हे यमराज यूं तो यह राजा बड़ा ही पापी है इसने सदा पाप कर्म ही किए हैं परंतु इसने कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को हमारा और आपका व्रत पूजन किया है अत:
  8. लहुलुहान राजा यमराज के दरबार में जब पहुंचा तब चित्रगुप्त ने राजा के कर्मों की पुस्तिका खोली और कहा कि हे यमराज यूं तो यह राजा बड़ा ही पापी है इसने सदा पाप कर्म ही किए हैं परंतु इसने कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को हमारा और आपका व्रत पूजन किया है अत:
  9. लहुलुहान राजा यमराज के दरबार में जब पहुंचा तब चित्रगुप्त ने राजा के कर्मों की पुस्तिका खोली और कहा कि हे यमराज यूं तो यह राजा बड़ा ही पापी है इसने सदा पाप कर्म ही किए हैं परंतु इसने कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को हमारा और आपका व्रत पूजन किया है अत: इसके पाप कट गये हैं और अब इसे धर्मानुसार नरक नहीं भेजा जा सकता।
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