आईने अकबरी sentence in Hindi
pronunciation: [ aaeenakebri ]
Examples
- अकबर के समकालीन इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक आईने अकबरी एवं इतिहास के पन्नों को तुजुके जहांगिरी नामक पुस्तक में भी दीपावली की भव्यता व रौनक का वर्णन किया गया है।
- आईने अकबरी के लेखक और शंहशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल ने भी एक जगह जिक्र किया है कि ग्वालियर कच्चा लोहा और लाल मिट्टी के लिये प्रसिध्द है ।
- अकबरनामा, आईने अकबरी तथा अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन् १५८४ ई. के लगभग यहाँ पर किले की नींव डाली तथा एक नया नगर बसाया जिसका नाम उसने 'इलाहाबाद' रखा।
- अकबरनामा, आईने अकबरी तथा अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन् १५८४ ई. के लगभग यहाँ पर किले की नींव डाली तथा एक नया नगर बसाया जिसका नाम उसने 'इलाहाबाद ' रखा।
- अकबरनामा, आईने अकबरी तथा अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन् १ ५ ८ ४ ई. के लगभग यहाँ पर किले की नींव डाली तथा एक नया नगर बसाया जिसका नाम उसने ' इलाहाबाद ' रखा।
- 1. आईने अकबरी में सूबा बरार का उत्तर दक्षिण विस्तार हँड़िया (मध् य प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर नर्मदा के किनारे एक छोटा कस्बा) से बिदर तक 180 कोस लिखा है और बरार के दक्षिण तिलंगाना बताया गया है।
- आईने अकबरी के अनुसार अब्दुल कादिर बदायूंनी कहते हैं कि बेगमें, कुलीन, दरबारियो की पत्नियां अथवा अन्य स्त्रियां जब कभी बादशाह की सेवा में पेश होने की इच्छा करती हैं तो उन्हें पहले अपने इच्छा की सूचना देकर उत्तर की प्रतीक्षा करनी पड़ती है;
- आईने अकबरी के अनुसार अब्दुल कादिर बदायूंनी कहते हैं कि बेगमें, कुलीन, दरबारियो की पत्नियां अथवा अन्य स्त्रियां जब कभी बादशाह की सेवा में पेश होने की इच्छा करती हैं तो उन्हें पहले अपने इच्छा की सूचना देकर उत्तर की प्रतीक्षा करनी पड़ती है;
- आईने अकबरी के अनुसार अब्दुल कादिर बदायूंनी कहते हैं कि बेगमें, कुलीन, दरबारियो की पत्नियां अथवा अन्य स्त्रियां जब कभी बादशाह की सेवा में पेश होने की इच्छा करती हैं तो उन्हें पहले अपने इच्छा की सूचना देकर उत्तर की प्रतीक्षा करनी पड़ती है ;
- शहंशाह अकबर की तारीफ में स्वामी रामतीर्थ कहते थे जहां चाहे जिस गोद को चाहे अपना सरहाना बनाकर बेफिक्री से जो नींद निकाल सकता था, आईने अकबरी के लेखक अबुल फजल, पुर्तगाल के पादरी, बड़े बड़े हिन्दू पंडितों के दिल में जो राज करता था वो शाहंशाह अकबर था।