अभिज्ञान शाकुन्तलम् sentence in Hindi
pronunciation: [ abhijenyaan shaakunetlem ]
Examples
- कालिदास अपनी रचना अभिज्ञान शाकुन्तलम् की नायिका शकुन्तला के सौन्दर्य का वर्णन करते है तो वह नायिका के सौन्दर्य का वर्णन नहीं, बल्कि प्रकृति की सुन्दरता का वर्णन करते हैं।
- प्राचीन साहित्य में उल्लेख मिलता है कि महाकवि भास के स्वप्नवासवदत्तम्, प्रतिज्ञायौगंधरायणम् तथा महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम्, मालविकाग्निमित्र और विक्रमोर्वशीयम् आदि नाटकों का मंचन राजमहलों में ही होता था।
- महाकवि कालिदास ने जहाँ अभिज्ञान शाकुन्तलम् व मेघदूत जैसी विश्व-प्रसिद्ध रचनाओं में मन पर पर्यावरण का प्रभाव दर्शाया है, वहीं लेमार्क एवं डार्विन जैसे वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को जीवों के विकास में महत्वपूर्ण कारक माना है।
- महाकवि कालिदास ने जहाँ अभिज्ञान शाकुन्तलम् व मेघदूत जैसी विश्व-प्रसिद्ध रचनाओं में मन पर पर्यावरण का प्रभाव दर्शाया है, वहीं लेमार्क एवं डार्विन जैसे वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को जीवों के विकास में महत्वपूर्ण कारक माना है।
- महाकवि कालिदास ने जहाँ अभिज्ञान शाकुन्तलम् व मेघदूत जैसी विश्व-प्रसिद्ध रचनाओं में मन पर पर्यावरण का प्रभाव दर्शाया है, वहीं लेमार्क एवं डार्विन जैसे वैज्ञानिकों ने पर्यावरण को जीवों के विकास में महत्वपूर्ण कारक माना है।
- किताब: अभिज्ञान शाकुन्तलम् (नाटक), लेखक: कालिदास, प्रकाशक: डायमंड बुक्स, कीमत: 95 रुपए, पेज: 128 संस्कृत और भारतीय साहित्य ही नहीं, दुनिया भर के साहित्य में महाकवि कालिदास का बहुत ऊंचा स्थान है।
- इस श्रृंखला में कालिदास की दो अन्य कृतियां ‘ रघुवंश ' और ‘ अभिज्ञान शाकुन्तलम् ' पहले प्रकाशित हो चुकी हैं तथा भविष्य में उनके अन्य नाटकों के सरलीकरण भी शीघ्र ही पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किया जाएगा।
- अभिज्ञान शाकुन्तलम् की प्रसिद्धि का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व सन् 1789 में सर विलियम जोन्स ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया तो उस अंग्रेजी अनुवाद का जॉर्ज फोरेस्टर ने सन् 1891 में जर्मनी भाषा में अनुवाद प्रकाशित कर दिया।
- वृहत्कथा का प्रभाव ' दण्डी ' के “ दशकुमार चरित ”, ' वाणभट्ट ' की “ कादम्बरी ”, ' सुबन्धु ' की “ वासवदत्ता ”, ' धनपाल ' की “ तिलकमंजरी ”, ' सोमदेव ' के “ यशस्तिलक ” तथा “ मालतीमाधव ”, “ अभिज्ञान शाकुन्तलम् ”, “ मालविकाग्निमित्र ”, “ विक्रमोर्वशीय ”, “ रत्नावली ”, “ मृच्छकटिकम् ” जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है।