२० दिसंबर sentence in Hindi
pronunciation: [ 20 disenber ]
Examples
- नारीन प्रान्त की स्थापना सोवियत संघ के ज़माने में २१ नवम्बर १९३९ में तियान-शान प्रांत के नाम से हुई थी लेकिन २० दिसंबर १९६२ को इसका प्रांतीय स्तर हटा दिया गया।
- देशपत की शहादत के बाद स्वयं गवर्नर जनरल को २० दिसंबर, १८६२ के पत्र में स्वीकार करने को बाध्य होना पडा कि 'देशपत का अंत निर्विवाद रूप से एक महत्त्वपूर्ण घटना है।
- लेओपोल्ड सदर सेंघोर (९ अक्टूबर १९०६-२० दिसंबर २००१) एक सेनेगलिस कवि, राजनेता और सांस्कृतिक सिद्धांतवादी थे, जिन्होंने सेनेगल के पहले राष्ट्रपति के रूप में बीस वर्षों तक सेवा दी।
- मतदान केंद्र वाले स्कूल कल बंद रहेंगे दमोहत्न जिले में २० दिसंबर को होने वाले मंडी चुनाव के लिए जिन स्कूलों को मतदान केंद्र बनाया गया है वहां उस दिन कक्षाएं न
- राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) में “प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान रायपुर के तत्वावधान में दिनांक १७ दिसंबर २०१० से २० दिसंबर २०१० तक आयोजित हुए चार दिवसीय ”मुक्तिबोध रचना शिविर” में शामिल होने का अवसर मिला।
- विद्यार्थियों की ओर से संस्था में हार्डकॉपी जमा कराने की तिथि १० दिसंबर व संस्थाप्रधान की ओर से जिला कार्यालयों में हार्डकॉपी जमा कराने की अंतिम तिथि २० दिसंबर निर्धारित की गई है।
- घटनाक्रम के अनुसार गत २० दिसंबर को जलंधर के बस्ती दानिशमंदा इलाके की एक फैक्ट्री में काम करने वाला श्रमिक उदयवीर कोरबैंकिंग के जरिए अपने पैसे घर भेजने के लिए नजदीक की यूनियन बैंक की शाखा में पहुंचा।
- अभा रजक महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजकुमार मालवीय ने बताया कि बैठक में संत गाडगे महाराज की जयंती पर २० दिसंबर को शिक्षक सम्मान समारोह, रक्तदान जागरूकता रैली, ब्लडग्रुप परीक्षण शिविर, खिचड़ी वितरण और मृत्युभोज बंद करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने के संबंध में चर्चा की जाएगी।
- डूंगरपुर २० दिसंबर / ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अधिशासी अभियंता अशोक जैन ने स्पष्ट किया है कि समय पर रोजगार देना एवं पांच किलोमीटर के अन्दर रोजगार देने की योजना की मूल भावना के अनुसार ही जिले में डूंगरपुर पंचायत समिति अन्तर्गत स्वीकृत कार्यों के श्रम मद में डेढ गुना तक की स्वीकृतियां जारी की गई हैं।
- क्यों जन्म दिन के पीछे पड गई हूँ. चलिए बता देती हूँ.असल में अभी २० दिसंबर को हमारा जन्म दिन था.और इतनी दुआएं मिलीं की झोली भर गई घर की चादरें, कम्बल सब निकालने पड़े फिर भी सम्भालना मुश्किल हो गया.वह गीत याद आ गया-ख़ुशी मिली इतनी कि मन में ना समाये,पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही ना जाये..