सुदामा चरित sentence in Hindi
pronunciation: [ sudaamaa cherit ]
Examples
- वस्तुतः इनके जन्मकाल के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अपने-अपने मत प्रगट किए हैं परन्तु ‘शिव सिंह सेंगर ' व ‘जार्ज ग्रियर्सन' के मत अधिक समीचीन व प्रमाणित प्रतीत होते है जिसके आधार पर सुदामा चरित का रचना काल सम्वत् 1582 में न होकर सन् 1582 अर्थात सम्वत् 1636 होता है।
- ' सुदामा चरित ' के एक प्रसंग में जब द्वारिका के नाथ श्रीकृष्णचंद जी दीन सुदामा द्वारा छिपाई हुई पोटली को निकालकर उसमें बँधे चावल एक-एक मुट्ठी करके खाने लगे और उसके बदले में अपने पास की सभी सुविधाएँ एक-एक करके देने लगे, तब उनकी पत्नी रुक्मनी ने उनका हाथ पकड़ लिया।
- कथा में प्रथम दिवस श्रीमद् भागवत महात्म्य, द्वितीय दिवस कुन्ती चरित्र व परीक्षित जन्म, तृतीय दिवस गजेन्द्र मोक्ष व वामन अवतार, चतुर्थ दिवस श्री राम जन्म व कृष्ण जन्मोत्सव, पंचम दिवस श्रीकृष्ण बाल लीला, गोवर्धन पूजा व छप्पन भोग, षष्ठम दिवस उद्धव गोपी संवाद व रूक्मिणी विवाह तथा सप्तम दिवस सुदामा चरित व व्यास पूजन के साथ कथा का समापन होगा।
- यही कारण है कि अनेक लोगों को यह भ्रम सताने लगता है कि इन्हें कहानी मानें या लघुकथा? उदाहरण के तौर पर ‘ हवा ', ‘ सनातन ', ‘ कूड़ा ', ‘ धुआँ ', ‘ मंजुला को तुम्हारी जरूरत है सुनंदा ', ‘ दु: ख के दिन ', ‘ यह कौन-सा मुल्क है ', ‘ और जब बन्दर भौंका ', ‘ सुदामा चरित ' आदि कथा-रचनाएँ देखी जा सकती हैं।
- खड़ी बोली मध्यकाल रूप कबीर, नानक, दादू, मलूकदास, रज्जब आदि संतों ; गंग की ' चन्द छन्द वर्णन की महिमा ', रहीम के ' मदनाष्टक ', आलम के ' सुदामा चरित ', जटमल की ' गोरा बादल की कथा ', वली, सौदा, इन्शा, नज़ीर आदि दक्कनी एवं उर्दू के कवियों, ' कुतुबशतम ' (17 वीं सदी), ' भोगलू पुराण ' (18 वीं सदी), संत प्राणनाथ के ' कुलजमस्वरूप ' आदि में मिलता है।