समानान्तर सिनेमा sentence in Hindi
pronunciation: [ semaanaanetr sinaa ]
Examples
- फिल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज ने इप्टिनामा में लिखा, समानान्तर सिनेमा की प्रमुख फिल्मों में वी शांताराम की स्त्री (1962) सत्यजीत रॉय की चारूलता नायक और गोपी गायन बाघा बायन सरीखी फिल्में थीं।
- अस्सी के दशक में ' नया सिनेमा ' या ' समानान्तर सिनेमा ' या फिर ' कलात्मक सिनेमा ' का चलन हुआ लेकिन दशक का अन्त आते आते उसका ज्वार उतर गया ।
- मैं तो फिल्म को बनाने के तरीके पर बात ही नहीं कर रहा था / हूँ, न ही मैंने यह कहीं कहा कि कला या समानान्तर सिनेमा होना चाहिए या नहीं होना चाहिए.
- मोहन राकेश के कहानी संग्रह के चयनकर्ता एवं साहित्य समीक्षक जयदेव तनेजा ने बताया कि हिन्दी के समानान्तर सिनेमा ने मोहन राकेश के अलावा निर्मल वर्मा, राजेन्द्र यादव, मन्नू भंडारी, रमेश बक्शी, विनोद कुमार शुक्ल, धर्मवीर भारती सरीखे लेखकों की रचनाओं को चुना।
- मोहन राकेश के कहानी संग्रह के चयनकर्ता एवं साहित्य समीक्षक जयदेव तनेजा ने बताया, श्श्हिन्दी के समानान्तर सिनेमा ने मोहन राकेश के अलावा निर्मल वर्मा, राजेन्द्र यादव, मन्नू भंडारी, रमेश बक्षी, विनोद कुमार शुक्ल, धर्मवीर भारती सरीखे लेखकों की रचनाओं को चुना।
- नैनीताल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिये कि नैनीताल स्थायी रूप से वैकल्पिक फिल्मों के प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन कर उभरेगा और समानान्तर सिनेमा के सभी महत्वपूर्ण व्यक्ति यहाँ के फिल्म समारोह में शामिल होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करेंगे।
- नैनीताल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे संस्करण के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिये कि नैनीताल स्थायी रूप से वैकल्पिक फिल्मों के प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन कर उभरेगा और समानान्तर सिनेमा के सभी महत्वपूर्ण व्यक्ति यहाँ के फिल्म समारोह में शामिल होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करेंगे।
- एक दौर में समानान्तर सिनेमा में एेसे-एेसे विषयों पर फिल्में बनी हैं, जिन पर आज कोई निर्माता फिल्म बनाने के बारे में सोचते भी नहीं हैं लेकिन वे फिल्में आज भी विश्व के बाकी सिनेमा पर भारी हैं और भारतीय फिल्मों में मील का पत्थर बनी हुई हैं।
- मधुसूदन आनंद ने लिखा है, समानान्तर सिनेमा के दो ध्रुव थे जिसके एक ओर बांग्ला फिल्मकार मणाल सेन की भुवन शोम (1969) बासु चटर्जी की सारा आकाश एमएस सत्तू की गर्म हवा श्याम बेनेगल की अंकुर जैसी फिल्में थीं वहीं दूसरी ओर मणि कौल की उसकी रोटी माया दर्पण और दुविधा जैसी फिल्में प्रचलित परिभाषा से काफी दूर थीं।