संवेदनशील ढंग से sentence in Hindi
pronunciation: [ senvedenshil dhenga s ]
"संवेदनशील ढंग से" meaning in English
Examples
- अंतिम फिल्म ‘स्टैनले एंड आइरिस ' में वह एक बार फिर निम्न मध्यवर्ग के संघर्षशील पात्रों के पास लौटते हैं और बहुत ही संवेदनशील ढंग से उनके भीतर पछाड़ें मार रही सुसुप्त भावनाओं को पर्दे पर दिखाते हैं।
- एक कद्दावर अभिनेता की पहल ने संवेदनशील ढंग से इस मसले को सुलझाया है कि आप अपने जीवनयापन और मनोरंजन के लिए कुछ भी करें, समाज के स् याह कोनों की अनदेखी आप नहीं कर सकते।
- अंतिम फिल्म ‘ स्टैनले एंड आइरिस ' में वह एक बार फिर निम्न मध्यवर्ग के संघर्षशील पात्रों के पास लौटते हैं और बहुत ही संवेदनशील ढंग से उनके भीतर पछाड़ें मार रही सुसुप्त भावनाओं को पर्दे पर दिखाते हैं।
- और अंततः यह आपको वह विवेक भी देता है कि आप बिना दया के, बिना वृथा भावुकता के बुढ़ापे को संवेदनशील ढंग से महसूस कर सकें क्योंकि कभी न कभी वह आपके जीवन में दस्तक देने जरूर आएगा।
- मनुष्य बनाम मशीन जैसे ज्वलंत विषय को बी. आर. चोपड़ा ने बहुत संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया है और उस पर ओ.प ी. नैय्यर का पंजाबियत लिया सुरीला संगीत जैसे विषय को नये अर्थ दे रहा हो।
- आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती मानते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों से कड़ाई किन्तु संवेदनशील ढंग से निपटना होगा और लगातार सतर्क रहना होगा।
- आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरता और जातीय हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती मानते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इन चुनौतियों से कड़ाई किन्तु संवेदनशील ढंग से निपटना होगा और लगातार सतर्क रहना होगा।
- दिल्ली से पधार प्रोफेसर श्री विष्णु महापात्र ने कहा कि सरकार द्वारा महज योजना लागू करने देने से कुछ नही होने वाला बल्कि प्रशासनिक अमले को जबाबदेही और निराश्रितों के प्रति संवेदनशील ढंग से समय से काम काम करने की जरुरत है।
- नो वन किल्ड जेसिका फिल्म समीक्षा नो वन किल्ड जेसिका तंत्र का तमाशा बनाम तमाशे का तंत्र धीरेन्द्र अस्थाना दिल्ली के एक बहुचर्चित मर्डर केस पर आधारित इस ‘कल्पना प्रधान ' फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बेहद सधे हाथों और संवेदनशील ढंग से बुना गया है।
- संतोषजी, बड़े ही संवेदनशील ढंग से विषय प्रस्तुत किया है.मर्मस्पर्शी है.सत्य यही है की जिस संतान के मोह मैं आदमी सभी अच्छे बुरे कार्य करता है वही उसे पराया कर देती है तभी एहसास होता है की शायद यही हमारे दूसरो के साथ किये गाते बुरे कर्मों का फल है आप शब्दों मैं विषय को बड़े अच्छे ढंग से गूंथते है.आपमें एक कहानीकार की झलक दिखती है.शुभकामनायें.