शुम्भ और निशुम्भ sentence in Hindi
pronunciation: [ shumebh aur nishumebh ]
Examples
- यमराज कालनाम से, विश्वकर्मा मय से, शम्बरासुर त्वष्टा से, सविता विरोचन से, नमुत्रिा अपराजित से, अश्विनीकुमार वृषपर्वा से, सूर्य कलि से, राहु चंद्रमा से, पुलामा वायु से, भद्रकाली शुम्भ और निशुम्भ से, जम्भासुर से महादेव, महिषासुर से अग्नि, वातापि तथा इल्वल से ब्रह्मा, मारीचि, दुर्मष से कामदेव, शुक्राचार्य से वृहस्पति, नरकासुर से शनीचर देव, आदि का युद्ध होने लगा।
- पेशेवर कर्मकांडियों क़े विपरीत रामरतन शास्त्री जी ने पुराणों में वर्णित पात्रों की सम्यक और तर्क सांगत व्याख्या की, जैसे उन्होंने बताया कि शुम्भ और निशुम्भ और कुछ नहीं मनुष्य-मात्र में व्याप्त राग और द्वेष हैं इनका संहार करने से तात्पर्य है कि, मनुष्य अपने अन्दर व्याप्त मोह-माया और ईर्ष्या की प्रवृति का त्याग करे तभी देवी माँ का साक्षात्कार कर सकता है.
- यमराज कालनाम से, विश्वकर्मा मय से, शम्बरासुर त्वष्टा से, सविता विरोचन से, नमुत्रिा अपराजित से, अश्विनीकुमार वृषपर्वा से, सूर्य कलि से, राहु चंद्रमा से, पुलामा वायु से, भद्रकाली शुम्भ और निशुम्भ से, जम्भासुर से महादेव, महिषासुर से अग्नि, वातापि तथा इल्वल से ब्रह्मा, मारीचि, दुर्मष से कामदेव, शुक्राचार्य से वृहस्पति, नरकासुर से शनीचर देव, आदि का युद्ध होने लगा।
- वास्तविक भाव अत: तीनों आख्यानों का वास्तविक भाव है कि पिछली चतुर्युगी के अन्त में जब विनाश काल निकट था और सृष्टि पर अज्ञान तथा तमोगुण रुप रात्रि छाई हुई थी तब राग (मधु) और द्वेष (कैटभ) ने (शुम्भ और निशुम्भ) उन सभी नर-नारियों को जो कि सतयुग में दिव्यता सम्पन्न होने से देवी-देवता थे परन्तु धीरे-धीरे अपवित्रता की ओर अग्रसर होते आये थे, अपना बन्दी बना रखा था।
- तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो॥4॥ रक्त बीज का वध और चण्ड-मुण्ड का विनाश करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो॥5॥ शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्रलोचन का मर्दन करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो॥6॥ सबके द्वारा वन्दित युगल चरणों वाली तथा सम्पूर्ण सौभाग्य प्रदान करने वाली देवि! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो॥7॥ देवि! तुम्हारे रूप और चरित्र अचिन्त्य हैं।