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वाराह पुराण sentence in Hindi

pronunciation: [ vaaraah puraan ]

Examples

  1. वाराह पुराण के अनुसार कीकट को एक अपवित्र प्रदेश कहा गया है, जबकि वायु पुराण, पद्म पुराण में गया, राजगीर, पनपन आदि को पवित्र स्थानों की श्रेणी में रखा गया है ।
  2. इसी प्रकार वाराह पुराण में वर्णित है यदि कोई व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस फूलों के पौधे, दस फलों के वृक्ष, जिनमें पाँच अनार, आम व संतरे के वृक्ष सम्मिलित हैं, उगाता है व नरक में नहीं जाता ।
  3. वाराह पुराण में उल्लेख किया गया है कि जो पीपल, नीम या बरगद का एक, अनार या नारंगी के दो, आम के पाँच एवं लताओं के दस वृक्ष लगाता है वह कभी भी नारकीय पीड़ा को नहीं भोगता है और न ही नरक-यात्रा करता है।
  4. श्रीमद्भागवत पुराण, वाराह पुराण, वायुपुराण एवं पाराशर संहिता आदि में कहा गया है कि समस्त धन, जन, विद्या, यश एवं शरीर जो कुछ भी सहेज कर रखा गया है, उन सबका अति शीघ्र क्षय हो जाता है यदि निवास स्थान वास्तुदोष से पीड़ित है।
  5. नवरात्रि के महत्त्व के विषय में विवरण मार्कंडेय पुराण, वामन पुराण, वाराह पुराण, शिव पुराण, स्कन्द पुराण और देवी भागवत आदि पुराणों में उपलब्ध होता है | इन पुराणों में देवी दुर्गा के द्वारा महिषासुर के मर्दन का उल्लेख उपलब्ध होता है | महिषासुर मर्दन की इस कथा को “
  6. जो कि इस प्रकार हैं: ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण, विष्णु पुराण, शिव पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, लिंग पुराण, वाराह पुराण, स्कंद पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्मांड पुराण।
  7. पौराणिक ग्रंथों जैसे नारदीय पुराण (२ / ६६ / ४४), शिव पुराण (१ / १ २ / २२ /-२ ३) एवं वाराह पुराण (१ / ७ १ / ४ ७ / ४ ८) और ब्रह्मा पुराण आदि में भी कुम्भ एवं अर्ध कुम्भ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है ।
  8. वाराह पुराण श्री ब्रह्माजी कहते हैं-वत्स! सुनो, अब मैं वाराह पुराण का वर्णन करता हूँ, यह दो भागों से युक्त है, और सनातन भगवान विष्णु के माहात्मय का सूचक है, पूर्वकाल में मेरे द्वारा निर्मित जो मानव कल्प का प्रसंग है, उसी को विद्वानों में श्रेष्ठ साक्षात नारायण स्वरूप वेदव्यास ने भूतल पर इस पुराण में लिपिबद्ध है।
  9. वाराह पुराण श्री ब्रह्माजी कहते हैं-वत्स! सुनो, अब मैं वाराह पुराण का वर्णन करता हूँ, यह दो भागों से युक्त है, और सनातन भगवान विष्णु के माहात्मय का सूचक है, पूर्वकाल में मेरे द्वारा निर्मित जो मानव कल्प का प्रसंग है, उसी को विद्वानों में श्रेष्ठ साक्षात नारायण स्वरूप वेदव्यास ने भूतल पर इस पुराण में लिपिबद्ध है।
  10. वाराह पुराण की श्लोक संख्या चौबीस हजार है, इसमें सबसे पहले पृथ्वी और बाराह भगवान का शुभ संवाद है, तदनन्तर आदि सत्ययुग के वृतांत में रैम्य का चरित्र है, फ़िर दुर्जेय के चरित्र और श्राद्ध कल्प का वर्णन है, तत्पश्चात महातपा का आख्यान, गौरी की उत्पत्ति, विनायक, नागगण सेनानी (कार्तिकेय) आदित्यगण देवी धनद तथा वृष का आख्यान है।
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