वसुबंधु sentence in Hindi
pronunciation: [ vesubendhu ]
Examples
- मनुष्य के एहसास (Conciousness) के नीचे के स्तर पर अवचेतन का अस्तित्व और उसका सूक्ष्मता से विचार सच्चे अर्थो में भारत में असंग और वसुबंधु ने किया है।
- जैसाकि वसुबंधु ने उल्लेख किया है. अज्ञानियों द्वाराधर्मों केस्वभावकी जो कल्पना ग्राह्य-ग्राहक रुप में की गयी है, उस कल्पित रुपमेंउनका नैरात्म्य है, न कि अनिर्वचनीय रुप में जो बुद्धों का विषय है.
- चौथी शती में असंग और वसुबंधु ने भारत में और छठी शती में प्रसिद्ध चीनी बौद्ध दार्शनिक चिह-ही (Chih-hi) ने चीन में मन संबंधी जो विचार किया है, वह आश्चर्यचकित करने वाला है।
- यहाँ के अन् य प्रमुख कुलपतियों में आर्यवेद, असंग, वसुबंधु, धर्मपाल, राहुल, शीलभद्र और चंद्रपाल, प्रभाकर मित्र, अश् वघोष, पद्मसंभव के नाम उल् लेखनीय हैं।
- चौथी शती में असंग और वसुबंधु ने भारत में और छठी शती में प्रसिद्ध चीनी बौद्ध दार्शनिक चिह-ही (Chih-hi) ने चीन में मन संबंधी जो विचार किया है, वह आश्चर्यचकित करने वाला है।
- इस संप्रदाय में दिनांग व धर्मकीर्ति के न्याय, मैत्रेयनाथ और असंग के प्रज्ञापारमिता सूत्र, नागार्जुन व चंद्रकीर्ति के माध्यमिक, वसुबंधु व असंग के अभिधर्म तथा गुणप्रभा द्वारा रचित विनय प्रमुख ग्रंथ है, जिस पर इनकी आध्यात्मिक व दर्शन टिका है।
- ४७परमाणुओंको असिद्ध प्रमाणित करने के लिए वसुबंधु ने अपनी एक कारिकामें बताया है किएक साथ छः परमाणुओं का योग होने से परमाणु के छः अंशसिद्ध होते हैं और छःपरमाणुओं का यदि एक ही स्थान माना जाये तो वहपिंड अणुमात्र सिद्ध होगा.
- और दूसरी धारा वह है, जो बुद्ध के कमंडलु से निकलकरनागार्जुन और वसुबंधु आदि दार्शनिकों, सरहपा, गोरख आदि साधकों तथा कबीरदास, गुरु नानक, दादू दयाल, रज्जब, मलूकदास, पलटूदास आदि संतों की वाणियों में बहती हुईआधुनिक युग में महात्मा गांधी तक पहुंची है.
- प्रायः लोकजीवन में प्रत्यक्ष के आधार परकिसी बाह्यपदार्थ के अस्तित्व को मान लिया जाता है, प्रत्यक्ष की स्थिति मेंबाह्यपदार्थों कानिषेध नहीं किया जा सकता परंतु आचार्य वसुबंधु ने स्वप्नादि केद़्अष्टांतोंद्वारा इसका खंडन करते हुए बताया है५-`स्वप्नादि में विषयके बिना ही विषय-ज्ञानअर्थात् प्रत्यक्ष बुद्धि होती है.
- इसशंका का समाधान करते हुए आचार्य वसुबंधु का कथन है५४ कि जिसप्रकारस्वप्नमें देखे गये पदार्थों के अभाव का बिना जग हुए मनुष्य नहीं जानपाता, इसी प्रकारमिथ्या विकल्पों के अभ्यास की वासनारुपी निद्रा में सोया हुआमनुष्यस्वप्न केसमान अवास्तविक वस्तुओं को देखता हुआ, बिना तत्वज्ञानजन्यजाग़तिकोप्राप्त किये उनके अभाव को यथार्थतः नहीं जान पाता.