वर्णमालाओं sentence in Hindi
pronunciation: [ vernemaalaaon ]
Examples
- (जब कम्प्यूटर कहा जा रहा है, तो इसका अर्थ हुआ, भारतीय वर्णमालाओं पर आधारित भारत का अपना ऑपरेटिंग सिस्टम, की ' बोर्ड, अपने सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर, अपना इण्टरनेट इत्यादि-वर्तमान प्रणाली अपनी जगह कायम रहेगी।
- वर्णमालाओं का आविष्कार प्राचीनकाल में किसी एक भाषा को लिपिबद्ध करने के लिए हुआ था, किंतु आज प्रत्येक वर्णमाला अनेक संबद्ध अथवा असंबद्ध भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होने लगी है जिनमें अनेक प्राचीन ध्वनियाँ लुप्त और नवीन ध्वनियाँ विकसित हो गई हैं।
- इस विशाल सेट में न केवल विश्व की सभी अलग-अलग भाषाओं की वर्णमालाओं के अक्षरों को समाविष्ट किया गया, बल्कि उनके विराम चिह्नों, गणित के प्रतीकों के समान विशेष आकारों को और चलमुद्रा के प्रतीकों को भी समाविष्ट किया गया.
- वर्णमालाओं का आविष्कार प्राचीनकाल में किसी एक भाषा को लिपिबद्ध करने के लिए हुआ था, किंतु आज प्रत्येक वर्णमाला अनेक संबद्ध अथवा असंबद्ध भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होने लगी है जिनमें अनेक प्राचीन ध्वनियाँ लुप्त और नवीन ध्वनियाँ विकसित हो गई हैं।
- वर्णमालाओं का आविष्कार प्राचीनकाल में किसी एक भाषा को लिपिबद्ध करने के लिए हुआ था, किंतु आज प्रत्येक वर्णमाला अनेक संबद्ध अथवा असंबद्ध भाषाओं को लिखने में प्रयुक्त होने लगी है जिनमें अनेक प्राचीन ध्वनियाँ लुप्त और नवीन ध्वनियाँ विकसित हो गई हैं।
- भाषा संपादक या आई एम ई एक प्रोग्राम या ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा है जो कंप्यूटर इस्तेमाल करने वालों को मानक पश्चिमी की बोर्ड के जरिए जटिल वर्णॅ और चिह्नों (जैसे कि जापानी, तिब्बती, कोरियाई और भारतीय वर्णमालाओं) को टाइप करने की सुविधा देता है।
- भूल जाओ गिनती और इसकी शुरुआत अपनी उम्र से करो उलटी गिनती से करो सम संख्याओं से करो रोमन संख्याओं से करो रोमन संख्याओं के भिन्नों से करो पुराने पड़े कलेंडरों से करो प्राचीन वर्णमालाओं की ओर लौटो वर्णमालाओं तक लौटो तब तक जबतक क्रमवार लगने न लगे सब कुछ सहज पहले जैसा.
- भूल जाओ गिनती और इसकी शुरुआत अपनी उम्र से करो उलटी गिनती से करो सम संख्याओं से करो रोमन संख्याओं से करो रोमन संख्याओं के भिन्नों से करो पुराने पड़े कलेंडरों से करो प्राचीन वर्णमालाओं की ओर लौटो वर्णमालाओं तक लौटो तब तक जबतक क्रमवार लगने न लगे सब कुछ सहज पहले जैसा.
- तुम सुनोगे उसे, जगते हुए, पंखे की ग़रज में सूखे नारियल के पत्तों की सरसराहट में, कंकरों में जो किसी लॉरी से धूल भरी गली में डल रहे हैं तुम सुनोगे उसे रात के अंतिम विमान में (जिसकी ध्वनि बादलों की ग़रज सी होगी) पक्षियों की वर्णमालाओं में, और गुस्से से भरे प्रेशर कुकरों में
- और उन्होंने सुझाया कि इसका शीर्षक ‘मासूम सवाल ' नहीं, ‘बीमार' होना चाहिए… यह हमारी कैसी व्यवस्था है कि हम अपने बच्चों को हिन्दी और अंग्रेजी की जिस वर्णमाला से पढ़ना सिखाते हैं, उसकी वर्णमाला में पहले अक्षर ही फलों से जुड़े होते हैं और विडम्बना यह कि हम वर्णमालाओं से फलों की जानकारी तो अपने बच्चों को देते हैं, पर उन फलों को उन्हें खिला सकने की कूवत हममें नहीं होती।